महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ व्यक्तित्व और कृतित्व | Mahakavi Prithviraj Rathore Vyaktitva Aur Krititva

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Book Image : महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ व्यक्तित्व और कृतित्व  - Mahakavi Prithviraj Rathore Vyaktitva Aur Krititva

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्याक्तत्व वश तेरहवी शर्ती के भ्रतिम चरण में कन्नौज के राठौड़ राणा जयचद्र के बशज सेतराम के पुत्र राव सीहा मारवाड মাই ये + उहोने सबप्रथम 'लेड” पर भ्रधिकार १ राव सीहां, जिनका सिंघसेन नाम भी ख्यातो में उल्लिखित है, बडे धमपरायण दात्निय वीर थे व पझपने परिवार भर परिग्रह के साथ वि स॒ ११६२ म द्वारका फी यात्रा पर जात हुए मारवाड সাধ थे उद्दोते तब भीनमाल म मुलतान के भाततायी मुसलमानों द्वारा भात्रा त प्रजा बी रक्षा वी थी द्वारका से लौटते हुए जव उनका मुकाम पासी मे हृप्रा तो वहाँ कै ब्राह्यणो (जो बाद में पालीवाल ब्राह्मण कहलाए) ने भी उनसे निवेदन क्या छि उनी भी भील, मेर म॑णे भादि दस्युभों से रक्षा करें तदुनुप्तार लुटेरो का दमन कर के पाली मे ब्राह्मयों को भी श्रभय किया वहाँ उहे यह पता लगा कि सेड बे स्वामी गोहिल भौर उनके मत्री डाभियों मे भ्रनवन के कारण राज्य मे भ्रव्यवस्था व लूट खसोट के फारण प्रजा सव्रस्त ै सौहाजी न योहिलो भौर डामियो दोनो का दमन फरवे' वहाँ अपना राज्य स्थापित कर दिया इसो बोच पाली को मुसलमानों ने लूटना प्रारम्भ कर दिया सीहाजी उनये मुकाबिले के लिये पाली चढ़ प्राये मुसलमानां वी पाली से खदइते हुए जब वे धीहूं गाँव भाये तो सीहाजी वहाँ वोरगति को प्राप्त हुए गोहिलो ने इस बीच सेड पर पुन ध्धिकार वर लिया तब राव पश्रासयान ने सेड पर भाक्मण मरे गोहितो को मारवाह स मार भगाया भौर यहाँ भपना निष्कटवः राज्य स्थापित षर्‌ दिया मारवाड मे सर्वेप्रथम सैड पर शासन होन के कारण मारवाड बे राडोडो थी मूल शाखा सेढेचा सपा स प्रस्तिद्ध हुई मारवाड से भागे हुए गोहिलो भौर डाभिया ने सौराष्ट्र मे भ्ावर भपन पपने राज्यों मो स्थापना वी




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