चिद्विलास | Chidvilas

Chidvilas by संपूर्णानन्द - Sampurnanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ निर्कोर्म कोई गधितका जाता हुआ 1 अमीतक वटी पस्य चरी नां खी प्सो पटठमण वनता अव्ययन क्से वद्‌ खिति यर्‌ व्यस्म तो पदत् धरस्तु गण्रिनतते दूर सने ६। ने इम पृत्वर्मे नवर म्य्पर गणित शाक्त जौ उदादरण लि ह उनसे विपदौ नमनेमे सदायता मिटनी है। विजानऊे स्ञाम गर्णितशा विपय বসন হত ই। तख्यात्र सौर गणितमें यहुत खाद्य है। मास्तीय दार्शनिर्सोफ्ों इस जोर स्मान देना चाहिये । हमारे प्राचान ददानि বাল হী বশী उुख्यों हैं। एक ता यह ह कि उसमें कलाके सम्बन्धर्मे रुछ मी नहीं कहा गया दे | य* मान डिया गया है हि दरान पुर विपष्र है, उसरा वलासे बोई सम्बन्ध नह है। सादित विद्ाननि स्मत विचार करने हए सेन्दस्यानुभतिक सम्ब न्पमे दय न्दा पर उनझा निरूपण अपूया है । वत्ठत यह दन्न বি ই | अने दसीरिर सीन्दव्यीनुमनि ओग ररे पिपर स्मा जप किया दे । पुने वाद्यम समते यटी कमी यद्द है कि उसमे जाचारोे पिषय मे कही पियेचन नहां स्ित्रा गया है । धम्म चचा तो यूत & पर्त वग्मरै स्वरूपे पिपर नान्व परिचार नहीं मिलता । पम्मरी फोइ সলপ सार्वमाम परिभाषा भी नहीं दी गयी है। जैमिनि कहते टै--- দ্নীহনা ल्क्षणोंटया “र्म्म/--तविससी घापगा, आता, बंद কী गयी है वद धम्म हे। यह घामरी परिमाया সহী ই “जा न्मे मिता है वद सोना है! रद्दनेसे सोतेक़ें उहमसा पना चरता हैं, झसके स्परूपरा मेध नहा होता । फ्णाद “बतो<स्युदरनि तेयहसिद्ध स धम्म'--चिससे अम्युदय और नि तरसा हिदि ये वह घम्म दै-- कहृसर जैमिनिसे तो भाग लाते ই অজু বন্তুর यह पाक्य मी षम्य




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