राजस्थान का भाषा सर्वेक्षण | Rajasthan Ka Bhasha Sarvekshan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rajasthan Ka Bhasha Sarvekshan by सर जॉर्ज अब्राहम ग्रियसर्न - Sir George Abraham Grierson

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सर जॉर्ज अब्राहम ग्रियसर्न - Sir George Abraham Grierson

Add Infomation AboutSir George Abraham Grierson

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(ग) निबेल पुल्लिग तदुभव संज्ञा-- घर राजस्थानी ब्रज बुन्देली काले नतक जनु দা गुजराती एकवचन प्रथम घर घर घर धर घर घर घर तृतीया --- -- घर घर घर घर আই तियेक्‌ रूप धर घर घर धर धर घर घर बहु वचन प्रथमा घर घर घर धर घर घर घर्‌ (-ग्रो) तृतीया -- -- धरां धरां घरां धरा घर्‌ (-ग्रो,)-ए तियेक्‌ रूप ৬১3 चरन घरां धरां घरां घरां घर्‌ (-श्रो,)-ए घर ऊपर के विवरण मे राजस्थानी एव गुजराती का विशिष्ट-श्राकारान्त (-एकारान्त की जगह) एकवचन तिर्यक्‌ रूप द्रष्टव्य है । राजस्थानी मे इस-्रा- का बहुवचन-श्राँ होता है । एक और महत्व की बात यह है कि राजस्थानी की सभी उपभाषाओं मे (तियंक्‌ रूप मैं-'ने! परसर्ग लगाकर बनाने के बदले) तृतीया का सर्वत्र एक विशिष्ट रूप पाया जाता है। मेवाती एवं मालवी में भी, जो कि पश्चिमी हिन्दी के निकटतम है, -ने या -नइ का उपयोग बेकल्पिक रूप से ही होता है । मालवीमे होर लगा कर एक और बहुवचन बनाया जाता है जो हमे कन्नौजी छ्वार तथा खस (नैपाली) हरु की याद दिलाता है । इन सब सज्ञा-शब्दों का एक प्रत्ययसाधित सप्तमी रूप भी होता है जो -ए या -ऐ लगाकर बनाया जाता है । उदा० घरे (घरमे) । ब-परसगं राजस्थानी न লী सेवाती मालवी जयपुरी मारवाड़ी +. तृतीया ने ने नै ने -- নগরে षष्ठी জী,ঈ, को,के, को,का, रो,रारी, कोका, হী,হা, লী,লা, को की की को,का,की की री नी चतुर्थी को खो ने ने,के नैके नै ने पचमी सोने सोसे বব” কাব सुस सु,ऊ थी ऊपर के विवरण मे द्रष्टव्य यह॒हैकिषष्टीका तिर्यक्‌ रूप गुजराती की भाति-म्रा-कारान्त है, न कि-ए-कारान्त, जंसा कि त्रज एव बुन्देली मे पाया जाता १७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now