वेदान्तदेशिक कृत संकल्पसूर्योदय का साहित्यिक अध्ययन | Vedantdeshik Krat Sankalpsuryoday Ka Sahityik Adhhyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कमल देव शर्मा - Kamal Dev Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऐतिहासिक रूप से विदित है कि दुष्टजन हमेशा से
सज्जनों को बिना कारण परेशान करते रहे हैं। वेदान्त देशिक भी उन
दुष्ट जनों से अछुते न रह सके। उनसे ईरष्या रखने वाले अनेक तरह
से उन्हें अपमानित करने का प्रयत्न कियें, पर भगवान् की दया से सब
निष्फल होते गये। लक्ष्मणाचार्य के अनुयायियों ने उन्हें श्रीरंगम छोड़ने
के लिय बाध्य किया। इस कारण वेदान्तदेशिक श्रीरंगम छोड़कर वहां से
थोड़ी दूर सत्याकाल (सत्यमंगलम्) नामक ग्राम में रहने लगे। बाद में
ईष्यॉलुओं को अपने किये पर पश्चाताप हुआ। उनके आग्रह पूर्वक
कहने पर वेदान्तदेशिक पुनः आकर श्रीरंगम में रहने लगे।
कुछ कालकेपश्चात् श्रीरगम पर यवर्नो का आक्रमण
हुआ, जिससे मन्दिर के आचार्यो तथा उनके प्रधान सुदर्शनाचार्य ने
वेदान्तदेशिक को बुलाया । उन्होनि अपने दो पुरो तथा श्रीभाष्य की श्रुत
प्रकाशिका व्याख्या को उनके ढार्थो में सौप दिया। वेदान्तदेशिक वहां
से सत्याकाल ग्राम चले आये ओर पुनः यादवाचल पर जाकर श्रुत
प्रकाशिकाः तथा विशिष्टाद्वैत दर्शन के प्रचार मेँ लग गर्ये। पुनः श्रीर॑गम
में शान्ति स्थापित होने के बाद वहीं आकर रहने लगे।
इस प्रकार वेदान्तदेशिक विशिष्टाद्धैत दर्शन का प्रचार-प्रसार
करते हुए, भगवत् कार्य में संग्लग्न रहते हुए सन् 1369 ई. के 14
नवम्बर, कलि संवत् 4470 के कार्तिक मास में 101 वर्ष की आयु
में स्वर्गारोहण किया।
2. श्री वेवान्तवेशिक की रचनाए:-
श्री वेदान्तदेशिक ने अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया है।
इन्होंने अगेक भाषा में ग्रंथों की रचना की है। भाषा की दृष्टि से इनके _
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