जवानो [ विचार और कर्त्तव्य ] | Jawano [Vichara Aur Kartavya ]
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काम करो, रोच में न पडे रहो १६
[| तठुम भी श्रपनी तकलीफों में गुँथ लिया करो चालों की एक माला,
र॒ तय कर लिया करो कि कोन-सी चाल कब और केसे चली जायगी 1
रंज के खेल मे जो जितनी वालें आगे की सोचकर चलता है, वही
मी जीता करता है। अपनी चालो की जॉच करते वक्त जितनी जल्दी
की अपनी भूल मिलेगी, दूसरे को नहीं | तुम्हारे सामने हर चाल का
वान-निन्वान जो है । पर यह सव कामयावी के साय योगा तव, जत्र तुम
जों के स्कूल में विल्ञा-नाग़ा जा चुके होंगे ओर वेलाग ज़िन्दगी विताना
ख चुके होगे।
নত ছানি करते हए बेलाग जिन्दगी विताना ज़िन्ठगी का दूसरा
पूल है |
जिन्दगी सोच-विचार की चीज़ नहीं, वह तो बिताने की चीज़ हे |
গজ में ज़िन्दगी एक सीढ़ी है, तकलीफें उसके डंडे हैं । सीढ़ी के ऊपर
हुँचरना जिन्दगी विताने वालों का काम है | डंडों पर सम्मलकर पॉव रखने
1 ही हम फिसलने से बच सकते है! एकं पवि जमाने मे देर लर्ण,
एर दूसरा पॉब उठाने में जल्दी करेंगे। जितने डंडे हम चढ़ ভু ই,
बरे में सोचने में हम वक्त जाया नहीं करेंगे। हम सोचेंगे उन डंडों वी
जिन पर पॉव रखकर हमें ऊपर चढ़ना है | तभी आज़ादी की छुत पर पहुँच
पायेंगे | यह ज़िन्दगी एक गोरख-घन्धा है। हमें चाहिए कि उसको
छुलभाने के लिए कठम उठाने से पहले हम दो-चार नहीं; वल्कि वीसियों
हल सोच लें ओर फिर एक के वाद एक लगातार काम में लाने लग जावें।
ऐसा करने से हम छु भलाहट के शिकार होने से वच जायेगे | उच उचने
की वात फिर पैदा ही न होगी |
सचाई बड़ी अ्रच्छी चीज़ है। कुछ छुजुर्गों ने तो सच को ही चुद
कहा हैं | सच है भी इस नाम के लायक | सच जब ईश्वर ही हे तो मौजूद
भी होना चाहिए, पर यह याद रहे, वह आकाश की तरह सत्र जगह मोजूद
हैं। सच में तकलीफो की मिटाने की ताकत नहीं, उलमनों को उलमाने
का वल नहीं | यह वल तो वालू के जर -जितनी व्यवहार-बुद्धि, यानी अमली
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