वंशवृक्ष | Vanshvriksh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
386
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पविश्वविद्यालय के पुस्तकालय मे भनुपत्ब्ध हैं, भौर शेप रुपये शोघ-कार्य
के सिलसिले भें प्रवास के लिए |
৭
दधु सदायिवराव खुबह नो बजे उठे । पिछली रात ग्रव में जहाँ-
जहां निशान लगाये ये, इस ममय फिर उन्हे देव रहे ये । सुवह् उठते
ही काफी पीते की उनकी ध्रादत नही है । हब भी पत्नी काफ़ी या नाश्ता
लातो, ले लेते । स्वय कहकर उन्होंने कभी कुछ नहीं खाया-पिया।
पढ़े हुए ग्रथों को प्रनेक बातों से वे सहमत नही हो पाते थे । भ्रपने
ग्रथ में उनका उल्लेख करके वे उनकी सदोषता भी एिद्ध करना चाहते
थे। थे विगत युग के दो हजार बं के जीवन की कल्पना कर रहे थे
कि पीछे से किसी ने उनके सिर पर ठडा-ठडा हाथ रख दिया । मुड़कर
देसा,..पत्नी है। वाये हाथ में तेल का लोटा था। दाहिने हाथ से एक
चम्मच तेल डालकर वह उनके सिर मे मलने लगी । हडबड़ाते हुए उन्होंने
पूछा--/सुबह उठते ही यह कया कर रही है नागु ?”
उत्तर दिये बिना ही नागलक्ष्मी ने कहा--'नहीं समझे ? उठिए,
एक पुराना भ्रेंगोद्धा लपेटकर बैठ जाइए । शरीर पर तेल मल देती हूँ ।'
“तिर मे जितना डाल दिया, उतना ही काफी है ! म्र श्राजसूब्रहु-
सुबह उठते ही यह क्या सूझा ? तू समझती क्यो नही कि मेरे पास
कितना काम्म है !”
भागलक्ष्मी ने हंसकर कट्ढा--सेकड्ो ग्रथ आपके दिमाग मे हैं।
किये राजा की सेना में कितने बुढ्े हाथी थे, यह सब ग्रापको कंठस्थ है।
लेकिन पत्नी ने कल रात जो कहा, वह भूल गये | बताइए, कल रात
मैंने क्या कहां था आपसे ?”
डॉ० राव याद करने लगे | लेकिन व्यर्थं 1 रात तीन बजे तक तीत
११
User Reviews
No Reviews | Add Yours...