विद्यार्थी - मित्रों से | Vidharthi-mitrose

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vidharthi-mitrose by केदारनाथ - Kedarnath

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about केदारनाथ - Kedarnath

Add Infomation AboutKedarnath

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दिधार्थो-दसाका महत्व १३ आप ही प्रशंसा करनेकी आदत न होनी चाहिये । तुम्हें कभी गये न होना चाहिये। खुद रंदगुणी होने पर भी तुम दूसरोकों कभी हीन ने अमझो। प्रेमसे सबको अपना दना लेनेकी वृत्ति तुमर्मे होनी चाहिये। जैसे तुम्हें अपत्ती वाणी पर सयम रखकर बोलनेका औचित्य सिद्ध अरना पचा, वैसे ही अपनी जीम पर भी सयम रफना होगा। बेस्वाद ओजन किसोवों अच्छा मही छगतां, और वह सतोप- श्मनेच्धियको पूर्वक किमीमे साया भौ नही जाता। फिर आरोग्यकी शरदिं दृष्टिसि वह हितकर भी नहीं। आरोग्यकी दृष्टिसे भोजनमें सर्वोत्तम स्वादका अनुमव बहुत जरूरी है। और वँसे अनुभववेः लिओ हमारी रसनेंद्रिय भी बहुत नोरोग और तीदण दोनी षाहिपे । परन्तु असा न करके हम खानेके पदार्थो कभी तेज चीजें डालकर युं स्वादिष्ट यनानेका भ्रयत्न करते है । यह्‌ प्रयत्न चओ दष्टियोसे हानिकारक होता दै। फिर भी हम मुपे जारी रते हैं और यपनी रसतेद्रियकी शवितको क्षीण करते रहते है । पुम वसी खराव आदतोमे न षडकर अुचित परिश्रम ओर व्यायाम द्वारा अपना चेट ठीक रखो । पाचन-शविति सतेन रो । भिसरी पर स्वादेद्दियकी तीक्ष्णता शौर निरोमिता आधारित है। यही सादे खान-पानमें सर्वोत्तम शचि मालूम द्वोनेका आरोग्यप्रद और पश्क्तिवर्धक भुपाय है। व्यायाम करने पर भी तुम्हारी भूख तेज न हो ओर सादी खुराकें रुचि पैदा न हो, तो अपने पेटको साफ करनेका युपाय फरो या येक दो दिन निरा- हार रहो। बैसे समय कोओ स्वादिष्ठ वस्तु खाकर जीभका सुख भोगनेके शल्ूत रास्तेमें पढ़कर बुरी आदतसे अपना आरोग्य और जीवन म बियाड़ो। खान-पानकी तरह तुम्हारा रहद-सहन, तुम्हारा पहनावा सादा दोना चादिये। कपडेके विपयरमे नुम याडंबर या फैशनकी अपेक्षा सुब्यवस्था और सुविधाकी तरफ ज्यादा ध्यान दो । तड्क~ धोश्ाकका विवेक भड़कके वजाय साफ़-सुथरेपनकों अधिक महत्त्व देता चाहिये । कपड़ेंकी सुन्दरता या कीमतीपनकी अपेक्षा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now