तीर्थगुणा माणेकमाला | Tirthguna Manekmala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ७ |
थोघ
आदि जिनवर राया, जास सोवन्नं काया, ।
मरुदेवी माया, धोरी रकन पाया ॥
जगस्थिति निपाया, शुद्ध चासि पाया।
केवल सिरिराया, मोक्ष नगरे सिधान्या ॥
पट्टी यथाशक्ति पञ्चक्खाण करव
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सिद्धंगिरि न হন
( राग-काली कमली वाले तुमको छाखों प्रणाम )
सिद्धाचल सणगार, आदि जिनने प्रणाम
नरक निगोदे मोहे भमियो, काल अनंते दुःखे गमियों
कहेता नावे पार । आदि० ॥ १॥
पशु पणुछे अति दुःखदायी, धम्म तणी गै वात लाई,
हवे शरणागत तार | आदि० ॥ २॥
देव गतिमां अति दु ख पायो, इन्द्रियना सुख काज धायो,
दुर्गंति ना दातार आदि० ॥ ३ ॥
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