तीर्थगुणा माणेकमाला | Tirthguna Manekmala

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Tirthgun Manekmala by पं. श्री माणेकविजय जी गणी - Pt. Shri Manekvijay Ji Gani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ७ | थोघ आदि जिनवर राया, जास सोवन्नं काया, । मरुदेवी माया, धोरी रकन पाया ॥ जगस्थिति निपाया, शुद्ध चासि पाया। केवल सिरिराया, मोक्ष नगरे सिधान्या ॥ पट्टी यथाशक्ति पञ्चक्खाण करव ০ सिद्धंगिरि न হন ( राग-काली कमली वाले तुमको छाखों प्रणाम ) सिद्धाचल सणगार, आदि जिनने प्रणाम नरक निगोदे मोहे भमियो, काल अनंते दुःखे गमियों कहेता नावे पार । आदि० ॥ १॥ पशु पणुछे अति दुःखदायी, धम्म तणी गै वात लाई, हवे शरणागत तार | आदि० ॥ २॥ देव गतिमां अति दु ख पायो, इन्द्रियना सुख काज धायो, दुर्गंति ना दातार आदि० ॥ ३ ॥




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