समायिक पाठ | Pure Thoughts

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Pure Thoughts by अमितगति आचार्य - AMITGATI AACHARY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यी दशनशानसुखस्वभावः, समस्तसंसारविकारबाह्मः | समाधिगम्यः परमाप्मसंशः, स देवदेवो हृदये ममास्ताम्‌ ॥१३॥ भयको देखन जानन बाला सुख स्वभाव सुखकारी । मब विकारि भावो से बाहर जिनमे ह संसारी ॥ धान द्वार अनुभव में आवे परमातम शुचिकारी । শী परमदेव मम द्वदय तिष्ठो भाव तुभी में भारी ॥१३। 13. ‰#48$ 1021 {070 ग 1,0705 ০৫ 6131710 10 पाए द्धा, 6 17 €556086 13 {<०0५1८086, ড/1500925 804 17900106555 15 {€€ (000 ৪1] 01101 100191660000$5 09 15 80053511015 1 ০0101600121900010, 20 16 15 68114 106९ 131617651 961%.




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