अलका | Alka
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
885 KB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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में ओर तू.
संकडो पाषाण
न्ध
स
में से एक तू पापाण देता,
न होती भात्रना फिर तू कहां भगवान् होता।
स्नेह के लघु दीप में में
वत्तिक बनकर जली हूँ,
तव चरण की कोर छूने
अध्य जल बनकर हुली हूँ।
में न यदि निज को मिटाती दूर क्या व्यवधान दोत्त,
में न होती भावना फिर तू कहां भगवान होता।
सात
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