विकास की ओर | Vikas Ki Or
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२---प्रमाद छोडिये !
सत्युरषों
पुरधाय ररन्ए हमारा प्रथम फसव्य द। जा पुरपाय नहीं
बरत्ता-पुर्पा्धी नहो सनता यहा पुर वालन योग्य
नहीं दे ।
पुरुपफो पुस्पायसे रोकप पाली बा चौत है? प्रमाद।
भगवान् महायीरन अपने प्रियतम शिष्य गौगमका प्रमादर्स
ग्रषनेफा थार यार उपदेश टिया दे । महा दे ~
“पम्रयं गोयम ' मा पमायए्॥
স্ক্যান
ह गौतम । दूं क्षय मर का मी प्रया स ফয।
महात्मा चुद्धन तो प्रमादकोौ मृत्युपा कारण बतलात हुए
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“पमरष मर्युने। पद्म् ॥
प्रभातफरीम कसी द्विदी कवि की ये पक्तिया गाई
जानी हैं. --
द्र तग मस्ापिर ! भौर अड
अप रा बहाँ जो साफत ६।
ज्ञा भागत है सा पावत दं
আ साथ टह मा बरोषत 2):
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