पडोशी देशो में | Padousi Deshon Me

Book Image : पडोशी देशो में  - Padousi Deshon Me

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यात्रा की पृष्ठभूमि श्ौर प्रस्थान पर रखे जिससे हम दिवाली नही देख सकें तो दूसरे महत्त्वपूर्ण त्यीहार को तो देख ही ले । उन्होंने हमे सुचित किया कि ब्रह्मदेश की होली भारत की होली से एक महीने वाद आती है अर्थात नववर्ष से आरभ होकर चार दिन तक चलती है । इस समाचार से हमे कुछ सतोप हुआ पर जाने की वात तो तब हो सकती थी जबकि वीसा मिले । उसकी अब भी कोई आशा न थी । फिर भी प्रयत्न चलता रहा । दिल्‍्ली-स्थित वर्मी दूतावास के अधिकारी वार-वार आश्वासन देते थे लेकिन उनकी लाचारी यह थी कि जवतक रगून से अनुमति न मिले वे कुछ नहीं कर सकते थे । आखिर हारकर उन्होंने कह दिया कि वीसा नहीं मिल सकेगा । हमने वर्मा के अपने तत्का- नीन राजदूत को लिखा और एक वुजर्ग मित्र ने भी दिल्‍ली में कोशिश की पर सच यह है कि हमने वहा जाने की आशा ही छोड दी । हम ही नही रगून के हमारे मित्न भी निराण हो गए । मन बड़ा ख़िन्न हुआ पर चारा ही वया था अचानक एक दिन दिल्‍ली के वर्मी दूतावास से फोन आया कि हमारा वीसा मजूर हो गया है आकर ले जाइए । बडा विस्मय हुआ । खुणी भी हुई । सोती अभिलापा फिर जाग उठी । पर तभी एक कठिनाई सामने आ गई । होनी के लिए अभी कुछ महीने वाकी थे और वीसा की मियाद वीसा मिलने की तारीख से शायद एक महीने की थी । विष्णुभाई और मैं बर्मी दूतावास गये और अधिकारियों को कठिनाई बताई तो उन्होंने कहा इसमें वया बात है जरूरी नहीं कि आप वीसा अभी लें । जब आपको जाना हो तब ले लीजिए । हमने उन्हें धन्यवाद दिया और होली की प्रतीक्षा करने लगे । इस घीच रंगून के मित्रों को सूचना दी । उन्हें वड़ा हर्प हुआ । उन्होंने सम्मे- सन की तिथियां अतिम रूप से निश्चित की । हमारी तैयारशिया सारभ हुई । जायकर का प्रमाण-पत्र लिया टीके लगवाकर स्वास्थ्य का प्रमाण- पत्र प्राप्त फिया हवाई टिफट की व्यवस्था की सोचा हि दसकतें साफ ड्रेन में जाय और यहां से हवाई जहाज से रगून पहुचें । इसी ट्िंसाय से दिल्‍नी की एक प्रवासनाजेंसी से प्रदध मराया । ससकझतें से रंगून नह




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