पडोशी देशो में | Padousi Deshon Me

Padousi Deshon Me by यशपाल जैन - Yashpal Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about यशपाल जैन - Yashpal Jain

Add Infomation AboutYashpal Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
यात्रा की पृष्ठभूमि श्ौर प्रस्थान पर रखे जिससे हम दिवाली नही देख सकें तो दूसरे महत्त्वपूर्ण त्यीहार को तो देख ही ले । उन्होंने हमे सुचित किया कि ब्रह्मदेश की होली भारत की होली से एक महीने वाद आती है अर्थात नववर्ष से आरभ होकर चार दिन तक चलती है । इस समाचार से हमे कुछ सतोप हुआ पर जाने की वात तो तब हो सकती थी जबकि वीसा मिले । उसकी अब भी कोई आशा न थी । फिर भी प्रयत्न चलता रहा । दिल्‍्ली-स्थित वर्मी दूतावास के अधिकारी वार-वार आश्वासन देते थे लेकिन उनकी लाचारी यह थी कि जवतक रगून से अनुमति न मिले वे कुछ नहीं कर सकते थे । आखिर हारकर उन्होंने कह दिया कि वीसा नहीं मिल सकेगा । हमने वर्मा के अपने तत्का- नीन राजदूत को लिखा और एक वुजर्ग मित्र ने भी दिल्‍ली में कोशिश की पर सच यह है कि हमने वहा जाने की आशा ही छोड दी । हम ही नही रगून के हमारे मित्न भी निराण हो गए । मन बड़ा ख़िन्न हुआ पर चारा ही वया था अचानक एक दिन दिल्‍ली के वर्मी दूतावास से फोन आया कि हमारा वीसा मजूर हो गया है आकर ले जाइए । बडा विस्मय हुआ । खुणी भी हुई । सोती अभिलापा फिर जाग उठी । पर तभी एक कठिनाई सामने आ गई । होनी के लिए अभी कुछ महीने वाकी थे और वीसा की मियाद वीसा मिलने की तारीख से शायद एक महीने की थी । विष्णुभाई और मैं बर्मी दूतावास गये और अधिकारियों को कठिनाई बताई तो उन्होंने कहा इसमें वया बात है जरूरी नहीं कि आप वीसा अभी लें । जब आपको जाना हो तब ले लीजिए । हमने उन्हें धन्यवाद दिया और होली की प्रतीक्षा करने लगे । इस घीच रंगून के मित्रों को सूचना दी । उन्हें वड़ा हर्प हुआ । उन्होंने सम्मे- सन की तिथियां अतिम रूप से निश्चित की । हमारी तैयारशिया सारभ हुई । जायकर का प्रमाण-पत्र लिया टीके लगवाकर स्वास्थ्य का प्रमाण- पत्र प्राप्त फिया हवाई टिफट की व्यवस्था की सोचा हि दसकतें साफ ड्रेन में जाय और यहां से हवाई जहाज से रगून पहुचें । इसी ट्िंसाय से दिल्‍नी की एक प्रवासनाजेंसी से प्रदध मराया । ससकझतें से रंगून नह




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now