रूस की पुनर्यात्रा | RUSSIA REVISITED
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
267
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
लुइ फिशर - LOUIS FISCHER
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श्री श्याम - Sri Shyam
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र रूस की पुनर्यात्रा
वी, जिय पर सूखे हुए छोट-छोटे सेकें का एड ढेर पडा हुआ था। “वे क्या
बेच रहे हैं ?”--- एक रादगोर औरत ने पूठा। “सेव ”---मैंने उत्तर दिया।
वद पक्ति मे सम्मिलित हो गयो 1 अने छि तथा पुष्य जव भो घूमने के
लिए बाइर जाते हैं अथवा छाम्र पर जाते हैं, तब दे खरीदी के लिए अपने साथ
औैले लेइर निकलते हैं। पता नी कब क्या मित जाय! अविदश्ञश सायात्न भण्डार
पुराने और छोटे हैं तथा बढ्े-से-बड़े भग्डार भी, जो सभी पुराने हैं, बहुत ही छोटे
है और खरीदारों से ठमाठम भरे ददते दें । खाद्यान्न, चश्च और घरेद उपयोग बी
सामप्रियों की उपल्धता में वैपम्य होने के आरण, जिसके अनुसार नगर के ক্ষ
मांग को अन्य भागों की अप्रेज्ञा, एक नगर को दूसरे नगर की अपेक्षा যা জবা
को गाँवों वी अपेश्ञा अधि सामान मिलता है, सरीरी के दिए बहुत अधिक
याना करनी पती है मैंने एक ऐसी महिला के सम्बन्ध मे शुना, जो फर्नीचर
खरीदने के लिए बीत्या-नः पर स्थिव सारातोद से सैझद्नों मील की यात्रा कर मारको
आयी थौ । मासो मे किरेव स्ट्रीट में कपड़ों की एक दुकान में प्रतीक्षा-रत प्राइकों
में से कम से कम आधे भाइऋ सिर पर रूमाल वापे हुए पक क्रियौ थीं, जो
सम्भवते' प्रात श्र पीठ पर दृष द प छायी थीं। किसान नगर में खाद्यान्न
भी खरीदते हैं। स्टोरों में अत्यधिर भीड़ दोने ख एक ओर करण वतुं श्वी
खरात्र विश्म भो है। एक महित्य, जो जूतों का एक ऐसा जोड़ा खरौदती है, जो
चार मद्दीने में दी फट जाता है, शीघ्र हो मोची की दुचन पर धुन पक्ति में
प्र दनी है। खराव किस्म के कारण परिमाग-सम्बन्धी समस्त सोवियत आंकड़ों
में अत्यपरिद्ध क्दौतो कर दो जानी चादिए ॥
१९२०-३० दी द्शब्दी कं अन्तिम भाग मे, जव राजनीतिक आ्यरेवना के
लिए अभी त्तक अनुमति प्राप्त यी और उसे प्रद्मशित भी किया जाता या, प्रातस्की-
वादी प्रार्टी अम्मेल्नों में पंक्तियों के सम्बन्ध में शिशायव किया करते ये और
उसे उच्च नीति छा परिणाम बताते ये । स्तालिनवादी यह कद कर इसम्य उत्तर
देते म यदे सो एक स्याथी दसय दै, टेकिन अब रेषा प्रतीत होना है कि
पेक्य स्थायी বন गयी है । सोवियतं ख अनन्त पैक्तियों - खायान, बदल, वाहन
आदि के ढिए लगने वाली पैक्तियों का देश है। इस स्थिति का कारण दिस्तारशील
उद्योग और नौकरशादों की सस्या भे बृद्धि के परिणामस्य नगरों दौ जन
संख्या में हुईं अन्यविछ वृद्धि, अक्षमतापूर्ण वितरण प्रणाली और व्यापार पर राज्यीय
श्राधिपत्य के अन्तगेन फलने फूलने वाली पुरानी विक्ली-पदति तथा समय-समय पर
ওজন হানি নাজ सामग्रियों का अभाव है। इन समलत कणों का एक मूल कारण है
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