श्रीमद्भगवद्गीता | Srimadbhagawadgeeta
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
420
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ ] श्रीमद्भगवद्वीत प्र० अण
पान् व्यवस्थितान् यद्धाय कृतव्यवस्थान् सज्जीभृतान् हृष्ठा
श्रस्राणा सम्पातः शुखसम्पातस्तस्मिन् शरस्रसम्पातं शच्वपंणे
पतते रवतितुम्वुक्तं सति धनुः स्वगाण्डीवधनुसचम्य समुतोल्यः
आह ॥ २० ||
इस के वाद भी कौरवों को युद्ध क्ले लिये प्रस्तुत और হা
घखलाने का समय आया देख कर कपिध्वज्ञ अर्जुन ने अपना धनुप
डठा लिया ॥ २०॥
हृणीकेश तदा वौक्यमिद्माहमहीपते ।
अज्जुन ड्वाच ॥
सेनयोरुषयोमेध्ये स्थं स्थायय सेऽच्धुत ॥२९॥
हे मद़ीपते ध्रतराषट । हृषीकेशं श्रीकृप्णमिदं चच्यमाणं वाक्यमाह
निवेदितवान् । हे ऋच्युत श्री कृष्य ! उभयोद्रेयोः सेनयोपध्यऽन्त
राले मे मम रथं स्यन्धनंस्थापय ।२९॥
आर हे राजन ! थ्री कृष्ण से कहा-हे अच्युत ! मेरा रथ হীলী
सेनाओं के बोच खड़ा करो॥ २६ ॥
০১
অলইলালিহী
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योहुकामानवंरियतान ।
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