भगवती कथा | Bhagwati Katha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घर्म ओर राजनीति १३.
पत्रमें एक लेख लिखना था। उसी के अध्ययनके निमित्त वे গাই
थे। ये विदेशी पत्रकार एक एक लेख पर कितना द्रव्य व्यय करते
है, कंसी लगन से कायं करते हैँ यह कितने आश्चयं की वात है ।
वे सज्जन टावन कोर मदरास की शोर के थे। हिन्दी वे बहुत ही
कम--नदी के बरावर--जानते ये! तीन दिन वे मेरे संपर्क में
रहे | उन्होंने हिन्दी अंगरेजी कोप की सहायता से वह २३-
२४ प्रृण्ठकी मेरी पुस्तक १२-१४घंटेमें स्वयं ही पढी । किसी से
उसका प्रंगरेजी मनुवाद नहीं कराया । पूरा एक दिन उन्हें उस
पुस्तकके पठनेमे छगा। दूसरे दिन वे मेरे साथ मछली शहर
वादशाहपुरीकी श्रोर भी यह देखने गये कि मै प्रचार कंसे करता
हूँ। मार्गमें मैंने पूछा-'क्या आपने मेरी पुस्तिका आ्रादिसे अन्त
तके पढी ?”
उन्होने कृहा--“हाँ पढ़ी ।”
मुझे बडी उत्सुकता हुई । यह व्यक्ति तो चुनाव चख चसमें
नही है| इसे किसीका पक्ष भी नही लेना है। यह जो आलोचना
करेगा तटस्थ व्यक्तिकी भांति करेगा। उससे अपनी भूलों का
ज्ञान ही! सकेगा | इसी लिये मैने -- क्या मैंने उसमें कुछ
* भिथ्या बातें लिखी हैं ?”
उन्होंने कहा--''हाँ लिखी है ।””
भेरी. उत्सुकता और बढी। मैंने पूछा-'कौन कौनसी पिथ्या
बातें मैंने उसमे लिखों हैं ?”
उन्होने कहा--' आपने एक स्थान पर लिखा है एक दृष्टान्त
दिया है किसीके पाँच लड़के पाँच लड़कियाँ है, ५ वीघा खेत है
पाँच कोठरी का मकान है तो लड़के लड़कियोंके भागमें ग्राधी
झाधी कोठरी और भाधा आधा बीघा खेत आवेगा। इस
पर लडाई होगी श्रादि आदि!”
मकानकी बात तो उचित ही है, किन्तु कृषियोग्य खेती में
लड़की को भांग मिले यह तो हिन्दु कोडमें नहीं है। खेती की
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