प्रवीण योग शिक्षा | Praveen Yog Shiksha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)देता है। अंगुलिमाल डाकू की कहानी तो आपने सुनी ही होगी। वह क्र डाकू
भगवान बुद्ध की शरण में पहुंचने पर पूर्ण अहिसक बन गया। यह महिता काही
प्रभाव था। अतः प्रत्येक व्यकित को अहिसा का पालन करना चाहिए। इससे जीवन
भे सात्त्विकता भाती है।
सत्य (77000017555)
सत्य का अर्थ है--सदा सच, मघुर और हितकारी वघन बोलना) जैसा सुना
या देखा था वैसा ही कहना सच्चा वचन होता है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि
वह ऐसे वचन बोले जो किसी की भलाई करने वाले हों, प्रिय हों और सच्चे हों,
झूठे न हों। ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए जिससे सुनने वाले को दुःख पहुंचे ।
जैसे अन्धे को अन्या फहने पर उसके मन को चोट पहुंचती है। अगर उसे अन्धा
मे कहकर सूरदास कह दिया जाये तो बात सच होगी, प्रिय होगी और दुःखदायी
भी न होगी। सत्य का आचरण करना भी अहिंसा का एक अंग है। अतः सत्य का
पालन करना चाहिए । महृषि पतंजलि का कहना है कि सत्य का आचरण करने
वाले व्यवित को ऐसी शक्ित प्राप्त होती है कि वह जो कुछ भी कहता है वही सच
हो जाता है।
अस्तेय (पणन)
अस्तेय का अर्थ है--मन, वचन और कर्म से चोरी न करना । किसी दूसरे
की वस्तु को उसकी इच्छा, आज्ञा के बिना लेना घोरौ है । प्रत्येक व्यक्ति को
चाहिए कि बह किसी दूसरे की कोई भी वस्तु न ले और न ही लेने की इच्छा करे 1
ऐसा तभी हो सकता है जब लालच भर तृष्णा को छोड़ दिया जाये। महि
पतंजलि का मत है कि अस्तेय का पालन करने वाले को समस्त ऐश्वर्य मिलता है
अर्थात् उसे जीवन में किसी चीज की कमी महसूस नही होती; जीवन-निर्वाह के
“सब साधन उसे स्वयं ही भ्राप्त हो जाते हैं।
ब्रह्मचर्य (01950)
अन्य सब इन्द्रियों सहित गुप्त इन्द्रियों का संयम करना ब्रह्मनयं है। दूसरे
शदो भ मन, इन्द्रिय मौर शरीर द्वारा होने वाले काम-विकार का सर्वेया अभाव,
बीं कौ रला करना तया किसी दूसरे व्यक्ति को वासनामयी दृष्टि से न देखना
ब्रह्मचर्यं है । शास्त्रों में आठ प्रकार के मैथुनों के त्याग का उपदेश दिया गया है--
श्रवण, स्मरण, दर्शन, भाषण, गुप्तवार्ता, स्पर्श, रति एवं हास्य । काम का मुख्य
रूप से सम्बन्ध स्त्री से माना जाता है अत: शास्त्रोक््त कही गई बात का अर्थ इस
प्रकार लिया जाता है--मारी का स्मरण, स्त्रियों की चर्चा करना, उनके साथ
खेलना-कूदना, यौवन और सौंदर्य से मृष्ट होकर बार-बार देखना, एकान्त में
बातें करना, भोग-विलास को बातें सोचना तथा करना, नारी की प्राप्ति की
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