जैसे हम लोग | Jaise Hum Log

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Jaise Hum Log by तपन बनर्जी - Tapan Banarji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फर्मचारो : मजदूर : फीटोग्राफर कर्मचारी मजदूर फोटोग्राफर ष्म चरी लेसे हम लोग / १५ आता होगा | बोलो आपके कितने साथी है''*'** | (मजदूर की ओर होता है भीर जरा तेज स्वर में कहता है) अबे लमढ़ग | कब तक तू चुप रहेगा । बोल । बता बाबू को कि एक हाथ की खबर दूसरे हाथ की नहीं रहती और भोजन गड़ाप से हो जाता है । हम हैं अज्ञानी। दुनिया के फैर में पड़ते नहीं रहे। बाबूजी बताते रहे कि हममे ताकत सबसे अधिक है, बशर्ते कि सब गरीब लोग मिल जाएँ। इसी कारणवश हम भी साथ हो गये ! सोचे रहा कि पृछेंगे--भइ गरीब तो गरीब है । मजुरी करता है और रात को आांटा खरीद के रोटी थोपता है। ज्यादे हुआ तो एक्राध दिन कच्ची पी लेता है। (चुप्पी) ताकत । यही तो कहा रहा बाबू- जी आपने, सो हम भी लग गए पीछे । सोचे ताकत वैदा करेंगे । : दोस्त, यह सफाई सुनवाई का मोका नहीं है। वक्‍त तेजी से बदल रहा है । इसकी चपेट से हम हैं, हम -- सिर्फ हम । चीटियो की तरह घर बनाना हमसे नही हो पाता ? (चुप्पी) हमारी एकजुटता में कोई घुसपैठ कर लेता है । : ती हमे अपने अनुभवों को परखना होगा । : बहुत सारी चीजें देखना-परखना होगा । ছঈলাহী : मजदूर : जिन्दगो को ठीक जिन्दगी बनाने में शचि सेना! रुचि ? पर कैसे ? : (दर्शकों की ओर इशारा करते हुए) देखो । मजदूर : ) कहां फोटोप्राफर : सामने लोग--भादमी लीग सामने खड़े हैं-/-अपने जरूरी




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