राजस्थान कल आज और कल | Rajasthan Kal Aaj Aur Kal

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Rajasthan Kal Aaj Aur Kal by विश्वास कुमार - Vishvas Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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9. जयपुर जिला-- जयपुर जिला राजस्थान का सबसे बडा जिला है और राज्य की राजधानी भी जयपुर ही है। गुलाबी गगर के नाम से प्रसिद्ध जयपुर शहर विदेशी सैलानियो के ्राकर्वण॒ का केन्र है। ह्र साल यहा लाखो विदेशी पेटक हवामहल, भाभेर का किला, जन्तर-मन्तर और चन्द्रमहल देखने झाते हैं । जयपुर जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में है। करीब 14 हजार वर्ग किलो- भीदर क्षेत्र मे फैले इस जिले को विभक्त कर दो टुकड़ों में करमे की मांग बहुत समय से की जा रही है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह जिला पाच उपखण्डो; 15 तहसीनो में बटा हुआ हैं। जिले मे 2929 गाव झौर 549 पंचायततें हैं जिनकी देखरेख 17 पच्रायत समितिया करती है । जयपुर जिला स्वतन्त्रता से पुर्वे जयपुर रियासत का अंग था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के वाद जिले का विकास तेजी से हुआ है, वही राजस्थान की राजधानी होने कं वारणा जयपुर शहर तेजी से फलता जा रहा है । जयपुर का श्रौद्योगी- करण भी दर तगति से हुआ है श्र वर्तमान मे चार औद्योगिक क्षेत्र विश्वकर्मा, मोटवाड़ा, सुदर्शनपुरा व मालवीय नगर स्थापित हो चुके हैं । सन्‌ 1981 वी जनगणना के ्राघार पर्‌ ज्लि की झावादी 34 लाख 6 हजार 104 तक पहुँच गई। चौदह हजार 8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फँले इस जिले मे जनसक्या का घनत्व 242 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था | इसमे 21 लाख 66 हजार 248 ग्रामीण तथा 12 लाख 39 हजार 856 शहरी जनसख्या थी । जिले की कुल जनसंख्या की तुलना मे शहरी आबादी का प्रतिशत 3640 है। इस जिले में 43.68 प्रतिशत पुरुष तथा 16.98 प्रतिशत स्त्रिया साक्षर थी । 10. भलवर जिला -- हरियाणा की ध्षीमा से लगा अलवर जिला भी तेजी से ग्लौद्योगीकरण वी और बढ रहा है । राजधानी क्षेत्र मे झाने से भी इसका विकास तेजी से हो रहा है । हरा-भरा इलाका और अराबली की पर्वेतमालाओं से घिरे इस जिले का क्षेत्रफल 8,380 वर्ग किलोमीटर हैं जिसमे 438 ग्राम पंचायतें हैँ । प्रशासनिक दृष्टि से 10 तहसीनो और चार उपखेण्डो मे विभाजित इस जिले की जमीन उपजाऊ है। भरिस्का का वस्य जीव अभपारण्य विदेशी पयंटरों के आकर्षण का चेन्द्र है । स्व॒तन्भता से पूर्व श्वलवर जिला सेवाड रियासत का एक गथा और मत्स्य सग मे विलीन होने के बाद 22 माचं, 1949 को छृहद्‌ राजस्थान का যা बन गया । सिलीतेढ, तालइआ, पाडुपोल, भृतहरि, नीलक्ठ और नारायणी माता का सन्दिर यहा के दर्शनीय स्थल है 1 झलवर जिते की श्रावादी 1981 की जनगणना के समय 17 लाख 9




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