काश्मीर शैवदर्शन और कामायनी | Kashmir Shevdarshan Aur Kamayani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Kashmir Shevdarshan Aur Kamayani by भँवरलाल जोशी - Bhanwarlal Joshi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भँवरलाल जोशी - Bhanwarlal Joshi

Add Infomation AboutBhanwarlal Joshi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
घृष्ठ संध्या पंक्ति ६७ १६ द्‌ १ ५७ ६ ११५ २६ १४४ १४ १५५८६ ও १५९ १६ १९८ ८ २०१ রড २१९ १९ २२१ २५ १२३ ८ २२५ २६९ २२८ २९ २२९ १३ २२९ षधे २२९ २५ रद ५ १४७ সি २४८ ष्‌ २५० १० २६० १६ २६० ष्ठ २६१ ४१ २६४ ও २७० ३१ २८५ | ६०० रण्‌ ३०२ ७ र्‌ काणो मू शुद्धि-पत्र লয় अन्त स्वावस्दगोचरा सथाक्रम से परिभाषिक अमिहत की क्षृतिशयिता আলো নদী शुहस्पी ২ प्रेम-पत्नी परमाश-छाम उनकी निष्यप्रयोजन भाक!?ा्वेन सासइचा दीबी জুহা दन्तभूंत परसार्यातः पदामसिका चेतना अतीति शष ऋषि छा नमित हे स्विष्न मयः छ रादिभेदतया क्रते विषम स्मरितिमान्न টি दारमश्वयं शुद्ध अन्तःस्वानुभवानन्दुगोचरा यथाकम पारिभाषिक अभिषित के अतिशय स्गस्माका गृहस्य नि.ेयस प्रेम-प्ठी परमार्य-छाम उसकी निष्प्रयोजन आकस्वेन तप्सष््ा दौवी दीक्षा तद्न्तभूँत परमार्यतः पदाध्मिका चैतन प्रतीत शिव হি! निर्मिव स्वप्न मतः ्वतुरादिमेदतया (पाद्.रिष्पणी) ङ्रते (पाद्-रिप्पणी) विसमं स्मितमात्र पारमेधर्य




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now