कर्मग्रन्थ [प्रथम भाग] | Karm Granth [Part १]

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Karm Granth [Part १] by सुकन मुनि - Sukan Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पृष्ठ गाया १५ ७२-७८ जीव आदि नवतत्त्वों के लक्षण छ२ सम्यकृत्व के भेद और उनके लक्षण ७६ गाथा १६ ७८-८१ मिश्रमोहनीय की व्यास्या और दृष्टान्त ७६ मिथ्यात्वमोहनीय का लक्षण व भेद ७६ गाया १७ च १८४ चारित्र मोहनीय कर्म के भेदोके नाम . ८१ জান मोहनीय के भेद, लक्षण और उनके चार प्रकार होने के कारण ठर अनन्तानुवधी आदि कपायो के लक्षण ८२ नोकपाय मोहनीय का लक्षण ठ गाया १८ ८१५-८६ अनन्तानुवधी आदि कषायो की काल मर्यादा ८६ अनन्तानुवघी आदि कपायो से वचने वाली गत्तियो के नाम ८६ उनन्तानुवधी जादि कपायो द्वारा होने वाला कायं ८६ गाथा १६, २० ८७-८६ अनन्तानुवंघी आदि कपायो से युक्त आत्मपरिणामो के दृष्टान्त ८७ गाया २९१, २२९ ६०-६३ नोकषाय मोहनीय. के भेदो के नाम गौर उनके लक्षण ६० गाया २३ ६४-६८ आयुकर्म का लक्षण और उसका कार्य ९४ अपवतंनीय--मनपवतनीय आयु के लक्षण ६५ आयुकमं के भेदौ कै नाम ओर्‌ उनके लक्षण ` , ६७




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