हिंदी पत्रकारिता विकास और विविध आयाम | Hindi Patrakarita Vikash Aur Vividh Ayam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)6/हिन्दी पत्रकारिता - विकास और विविध ग्रायाम
3. तीरु-क्षीर विवेक
पत्रकारिता पूर्णत नियेधात्मक माध्यम तहीं है। एक स्वस्थ पत्रकारिता का
लक्ष्य नीर-क्षीरवत् विवेचन करना होता है । इतना ही नहीं, विवेबन के साथ-साथ
निर्णय का काम मी पन्नकारिता करती है। जो पत्रकारिता गहराई तक अपनी पहुँच
रखती है उसे मात्र निपेघात्मक मानता अनौचित्यपूर्ण है क्योकि एक “पत्रकार भविष्य
दृष्टा होता है। वह समस्त राष्ट्र की जनता की चिल्वत्तियो, अनुभूतियों और झात्मा
का साक्षात्कार करता है । पत्रकार क्षिमी को ब्रह्मज्ञानी नहीं बना सकता परुतु
भनुष्य की साँति जीते रहने की प्रेरणा देता है । जहां उसे घ्रन्वाय, भानः তত্থী রন,
प्रवचना, भ्रष्टाचार कदाचार दिखता है, वह उनका ताल ढोककर विरोध करता है
और आशातीत भ्रात्मविश्वास एव दृढता से प्रागी-प्राणी मे शान्ति एवं सदूभाव की
स्थापना करता है। सच्चा पत्रकार निर्माए क्रान्ति की लपटो से समाज की बुराइयों
को भस्म करने का आयोजन करता है। पत्रकार ऐसे समाज का विधिवतु विकास
करता है जिससे आात्म-साक्षात्कार के इच्छुक लोगो को भ्रपनी पहचान करने की
दृष्टि मिलती है ४”! अष्तु पत्रकारिता केवल निपेघात्मक ही वहीं होती দিনত বধ
निर्मात्री भी होती है और समायु रबेना के कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान
देती है 1
4. सामाजिक मूल्यो को नियामिका
पत्रकारिता विद्रोह, आक्रोश और आलोचना के माध्यमों को स्वीकार करती
हुई स्वस्थ सामाजिक भूल्यों की नियाभिका है। देश व समाज मे व्याप्त भ्रसतोप चाहे
बह देश जाति, घर्मं क्षित्री भी रूप मे क्यो न हो पत्रकारिता उप्तका सही विश्लेषण
कर प्रतिजिम्वित करती है । उदाहरणार्थ आपाठकाज़ के दौरान पेश मे परिवार
नियोजन के प्रति लोगो मे आक्रोश पैदा हुआ और उम्रकी जो भी प्रतिक्रिया हुई
उनका विस्तृत ब्यौरा प्रकाशित करके मनुष्य को उसके प्रति अच्छी और बुर वर्ति
बताकर उसने उसका मारे प्रशस्त किया | यह राष्ट्र में घटने वाली सभी महत्त्वपूर्ण
चटनाओो के वारे मे चितन की प्रक्रिया को जन्म देकर उसे सही दिशा मे अग्रसर होने -
में सहायता करती है । पत्रकारिता यदि सचमुच पत्रकारिता है तो बेह एक লা
दिका, जीवन निर्मात्री और सामाजिक मूल्यों की विद्यायिका ही हो सकती है, साथ
हो सामाजिक, राजनैतिक और आविक प्रतिमानों को स्थापित करवी दै ।
5. परिवेश से साक्षात्कार
पर्रकारिता मनुष्य की उसके परिदेश से जोडनी हुई अन्तर्राष्ट्रीय घटनाचकर
से भी जोड़ देतो है । पत्रकारिता मनुष्य को उसके चारो तरफ हो रहे घटनताचत्रो से
1. डॉ७ रामचन्द्र तिवारी : हिन्दी पत्रकारिता, पृष्ठ 291
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