श्री सेठिया बहादुरमाल जी भाठिया | Shri Sethiya Bahadurmal Ji Bhatiya

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Shri Sethiya Bahadurmal Ji Bhatiya by जौहरी दुर्लभ - Jauhari Durlabh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(३) धद में जैसे धर्म, जैंस शास्ष और जैन संसार के: लिए लोकाशाह ने की थी इं० सं० १४६८ में गुरू नानक का जन्म हुआ भार तुरत ह। ९४१७ ६० में घमवार साटठन ल्यूथर ने. कथालाक सम्प्रदाय में. जन्म लेकर अन्ध श्रद्धा का खमूल नाश करने का प्रयत्न किया, युठेषोय उस इतिहास से करीब ४० वर्ष पहले अथांत्‌ १४४२९ भे নগর के ल्यूथर रूपी सूथ गुजरपाट: नगरा में छपी, इ० ख० १४७४ में लोकांगच्छ, की स्थपन्ता हुईं, इस गच्छे. के संस्थापक ने सदा देयानन्द्‌ ओर ल्यूथर के समान सूतियूजा का निराकरण: किया।. सू[प- पूजा को घर्म विरुद्ध साबित की,.शि/पैंलाचारी साधुओं: का. त्रत संयम टं किया, जादू. टोना अध्यास मागे का अग नहीं देता समाया, घम सूत्रां को अपने हाथ- से मे लिखकर _ घमभिलापिर्थोः को. सम- माया, चुघ खवकी धमे নি | विरोधी भावनाओं को -सत्‌;-धम्‌ रूपम्‌ लाई) भद्‌ इतना ही रहा कि महात्मा क्यूथर पादरी- थे,. दयानन्दः स्वामी: सन्‍्यासी थे, और लोकाशाह आये महा आदशे दिखाने में निपुण ग्रद्स्थाश्रमी साघुराजः थ) जनक्त विदेहः केः समान संसार | भार धुट्धर सन्यास थः । अदीक्लितं क्रिन्तु भाव दीज्षित थे, जन : चन्त 1जनग्रभुक्रां उपासना के जिए ७४ सन्यस्थ सुभठों को दीक्षा ' दिलवाकर: समस्थः: आयोवत में रमणाय लोड, खिष्त धमे सुंधारक: जभन ल्यूथए के ४०७ वे पहले अमदावाद- में: यह घटना. हुई |. र्ुअर के समस्त ख्ल्ती जगत को लभार रदा है लोकाशादःके अमदा-




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