वेलि कृष्ण रुक्मिणी री | Veli Krishna Rukmini Ri

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Veli Krishna Rukmini Ri by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१११ यह्‌ उक्ति सत्य नही ह तो कवि का यह्‌ मिथ्या दम्भ मात्र हं, अन्यथा यहं मागे निर्देश हमारा सहायक हु 1 नीचे हम कवि की बहुज्ञता के उदाहरण वेकि से देगे जिनसे उनकी यह्‌ उक्ति सत्य सिद्ध होगी । 7 कथाकार का आवश्यक और पहला गुण होना चाहिये कि वह अनेक पौरा- णिक, ऐतिहासिक, कथाओं का ज्ञाता हो और उनका उपयोग अपनी कथा में कर सके। इससे काव्य के विस्तार तथा उपदेश आदि में सहायता मिलती हूं और काव्य की रोचकता की वृद्धि होती है। वेलिकार को पौराणिक ज्ञान तो सीधे भागवत से मिला ही था, यह असदिग्ध हूँँ। इसके अतिरिवत कि वह अपने ग्रथ की उपयोगी कथा को ठीक ठीक जानता था, उसे अन्य कथाओं (यथा, अनेक अवतारो तथा समुद्र मन्यन की कथा) का भी पत्ता था। रुक्मिणी का पत्र भागवत की कथा से नहीं लिया गया हैँ वह कवि की स्वच्छन्द प्रतिमा के प्रताप से उद्भुत हुआ हे। उस पत्र मे रेखक नें क्रमश वलिबन्धन, वाराहावतार, नृसिहावतार, समुद्रमन्‍्थन, रामावतार और रावण का नाश, लका से सीता का उद्धार और समुद्र बन्धन, चतुर्भुज रूप आदि का उल्लेख किया है, जिससे प्रकट है कि कवि को पौराणिक कथाओ का ज्ञान था। ऐतिहासिक ज्ञान का बोध, चन्देवरी नगरी का नाम देकर सूचित किया गया है ।--पहिलझूँइ जाद्‌ लगन ले पुहतौ, प्रोहित चन्देवरी पुरी॥३६॥ प्राचीनकाल मं होनेवाले राजसूय, अद्वमेघ आदि यज्ञो के द्वारा किस प्रकार दिग्विजय की घोषणा की जाती थी, यह ऐतिहासिक ज्ञान भी उन्ह था, जिसका सकेत उन्होने २४२ वें दो० में 'जगहथ पत्र' कहकर किया हं । महाभारत की कथाओं तथा महाभारत कालीन कथाओं सौर महान्‌. विभूतियो का उन्हें परिचय था अत्तएव उन्दोनें महात्मा विदुर का उल्लेख वसन्त की महफिल में--विदुर वे चक्रवाक विहार--पक्ति मेः कर दिया है १५९बे दोहे मे कवि ने क्षीरसागर का वर्णन--सेज वियाज खीर सागर सजि-- तथा २१६ म घनजय तथा दुर्योचन कै कृष्ण से सहायता माँगने की कथा का वर्णन करके कवि ने अपने पौराणिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान की पुष्टि ही की है। यह दोहला तो कवि के ज्योतिष ज्ञान का भी नमूना है। दोहछ इस प्रकार है -- সূ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now