श्रीमन्त्र राजगुण कल्पमहोदधि | Shrimantra Rajguna Kalpmahodadhi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
319
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१६) भीमन्च्राजग़रुणकद्पमद्दीदधि 1
विष्य ্ী ঘুরি দৃক
सम्पदु शन्द सिद्धि का चाचक ই, হুল विपय का प्रतिपादन २९१२ ॥
साट स्िद्धियकि नाम - शं উরি २१९२
याट सिद्धिर्योकासंदिप्तयीर्थं = = २१२ २१३
भन्त्रराज के पद विपेश में सन्लिविष्ट सिद्धि विशेषका निरूपण २१७
“ज्तो” এছ অজিলা জিভি কী লঙ্গিনহাজী ইন্ত “““ २१४ २९५
*'सस्दिताण ~= पुँ मदिमासिद्धि के सच्रिवेशके देत.” २२१ मयम
५ सिद्धाणं” पदर्मे गरिमासिद्धि के सन्निवेश के हेतु “~ नर २२७
*आयरियाण” पद्म छघिपा सिद्धि के सश्ियेश के हेतु. २२७ ५९८
6७ड्वज्फायाणं? वद में श्रांप्ति सिद्धि के सन्निवेश के हेत २८
सब्यसाहणं” पदममं प्राकाम्य सिद्धि फे सन्नियेश के हेतु स्र . , २३२
धपय णमोककाते पदे दशित्य सिद्धिके सक्षिवेश केतु २४२ २३७
मंगलछांण” पदर्मे धशित्य सिद्धि के सह्रिवेश के हेतु **.. २३७ २३६
भ्रोपश्चपरमेछि नमस्फरार स्तोत्र का मदर आदि बन... २३६ 5৪৪
॥ হলি शुभम् ॥ ঃ
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