श्रीमन्त्र राजगुण कल्पमहोदधि | Shrimantra Rajguna Kalpmahodadhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shrimantra Rajguna Kalpmahodadhi by जिनकीर्ति सूरी - Jinkeerti Suri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जिनकीर्ति सूरी - Jinkeerti Suri

Add Infomation AboutJinkeerti Suri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(१६) भीमन्च्राजग़रुणकद्पमद्दीदधि 1 विष्य ্ী ঘুরি দৃক सम्पदु शन्द सिद्धि का चाचक ই, হুল विपय का प्रतिपादन २९१२ ॥ साट स्िद्धियकि नाम - शं উরি २१९२ याट सिद्धिर्योकासंदिप्तयीर्थं = = २१२ २१३ भन्त्रराज के पद विपेश में सन्लिविष्ट सिद्धि विशेषका निरूपण २१७ “ज्तो” এছ অজিলা জিভি কী লঙ্গিনহাজী ইন্ত “““ २१४ २९५ *'सस्दिताण ~= पुँ मदिमासिद्धि के सच्रिवेशके देत.” २२१ मयम ५ सिद्धाणं” पदर्मे गरिमासिद्धि के सन्निवेश के हेतु “~ नर २२७ *आयरियाण” पद्म छघिपा सिद्धि के सश्ियेश के हेतु. २२७ ५९८ 6७ड्वज्फायाणं? वद में श्रांप्ति सिद्धि के सन्निवेश के हेत २८ सब्यसाहणं” पदममं प्राकाम्य सिद्धि फे सन्नियेश के हेतु स्र . , २३२ धपय णमोककाते पदे दशित्य सिद्धिके सक्षिवेश केतु २४२ २३७ मंगलछांण” पदर्मे धशित्य सिद्धि के सह्रिवेश के हेतु **.. २३७ २३६ भ्रोपश्चपरमेछि नमस्फरार स्तोत्र का मदर आदि बन... २३६ 5৪৪ ॥ হলি शुभम्‌ ॥ ঃ টি ९2 < ০৪




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now