महावीर जयन्ती स्मारिका | Mahaveer Jayanti Smarika
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ज्ञानचन्द बिल्टीवाला - Gyanchand Biltiwala
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सवंत्सरी का ऐच्छिक अवकाश स्वीकृत कराने, सांगानेर में जमीन से प्राप्त जैन मूर्तियों को
समाज के सुपुर्दे कराने का सभा ने कार्य किया है।
--आये दिन जैन मूर्तियों की चोरियां होती रहती है--ऐसा न हो इस हेतु समुचित व्यवस्था
के लिये तथा पकड़े जाने पर अपराधियों को कठोर दण्ड मिले ताकि पुनरावृति न हो, इस
हेतु राज्य सरकार को समय-समय पर सभा द्वारा निवेदन किया गया है ।
--कुम्भोज बाहुबली में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा वहां विराजित मुनिराजों के साथ प्रभद्र
व्यवहार करने तथा मूर्ति पर पत्थर श्रादि फैंके जाने का सभा द्वारा घोर विरोध किया
गया तथा प्रार्थना सभाश्रो का आयोजन कर एक अनूठा वातावरण तैयार किया गया ।
--अ्रहिंसा व शांति के अग्रदूत जैन साधु-साध्वीगण जब एक स्थान से दूसरे स्थान को विहार
करते हैं तब मार्ग मे कुछ श्रसामाजिक तत्वों द्वारा अभद्र व्यवहार किया जाता है । वह न
हो, £इसकी समुचित व्यवस्था करते हेतु भी सरकार से सयय-समय पर सभा द्वारा
अनुरोध किया गया है।
[_] श्रि प्रचार:
देश मे खुलने वाले वूचडखानों का सभा द्वारा विरोध किया गया है। धर्म के नाम पर
होने वाली बली का विरोध किया गया तथा बन्दरों के निर्यात का भी सभा द्वारा विरोध
किया गया है । सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री तैयार करने हेतु जीवों की हत्या को सभा बुराई की
दृष्टि से देखती है श्रौर समाज ऐसी सामग्री का उपयोग न करे इस हेतु अपनी सभाओं में
प्रचार करती है ।
भावी योजनायें :
[] संगठन को मजबूत चनाये रखने की इृष्टि से श्रधिकाधिक सदस्य बनाना तथा णाखाओओं
की स्थापना करना ।
(] समाज के विभिन्न अड्ों जैसे बाल विभाग, महिला विभाग को स्थापना करना एं
उनके विकास के लिए प्रवृत्तियां प्रारम्भ करता ।
[] জন धर्म के श्रष्ययतल की ओर झूचि बढ़े इस हेतु घामिक शिक्षा शिविर लगाना एवं जैन
दर्णन में सर्वेश्र प्ठ योग्यता प्राप्त करने घालो को सम्मानित दारता ।
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समाज के बन्धुओ में लोकोपकारी कार्य करने की भावना में उत्तरोत्तर वृद्धि हो চল ঈন্ু
ऐसे कार्य करने वालों को सम्मानित करना ।
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[]) समाज के वन्धमप्रों मे राप्टर के प्रति समवित भावनाओं में उस्तरोत्तर
समपित्त व्यन्तियों का तथा ता संग्रास मे योगदान হল বাল নলাসী
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॥
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