चण्डीचरण ग्रन्थावली द्वितीय खण्ड | Chandicharan Granthavali Khand 2

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Chandicharan Granthavali Khand 2 by वीरेन्द्र नाथ दास - Veerendra Nath Daas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ दीवान गंगागोविन्द्सिह मीको नहीं छोड़ेगे। प्रोविशल काउन्सिलके मेम्बरलोग राख तदबीर करनेपर भी आपका कोई अनिष्ट नहीं कर सकते। प्रोविशल काउन्सिकको एबोलिश करनेके लिए गवर्नर जेनरलने कोर्ट ओब डाइरेक्टर्सके पास पत्र लिखा है । लेकिन कोर्ट ओव डाइरेक्टर्सने १७७६ की चोथी जुलाईके पत्रमें हेस्टिग्ज़्‌ साहबपर अप्रसन्नता प्रकट की है। वे छोग किसी प्रकारका कोई नया फेरफार आवश्यक नहीं समभते। “कोर्ट ओवब डाइरेक्टर्स, गवर्नर जेनश्कपर विरक्त क्यों हुआ है 9? “बह बहुत सी बातोंसे सहमत नहीं है ।” “किन-किम विषयोमे सहमत नहीं है ९ “हम बर्खास्त होकर फिर मुकरंर हुए हैं, शायद्‌ इस बातको. कोर्ट ओव डाइरेक्टस नहीं जानता । हमें राजस्व विभागका काम दिया गया है, इसीलिए उनलोगों- ने अत्यन्त असंतोष प्रकट किया ই--€ ৮109 7)0%9 (1) 1 00৪ 870090015 ) | इसके अतिरिक्त मनोहर झुकर्जीके मुकदमेका कागज-पत्र ओर थेकरे साहबके कामोंको देखकर हेस्टिग्ज़्‌ ओर बारवेल साहबपर वे अत्यन्त असन्‍्तुष्ट हुए है ?” “सनोहर मुकर्जीका,कैसा मुकदमा है ?”? “मनोहर मुकर्जी बेटमेन ( 39787 ) साहबके बेनियन थे। बेटमेन साहब मुझ्ञेरके कलक्टर थे । मुंगेर ओर कारिकपुर इन; दोनों महालोंका बेटमैन साहबते धाँधू बहादुर ओर कृपाराम इन दोनोंके नामसे ठेका लिया था। धाँधु बहादुर नामका कोई आदमी नहीं था, कृपाराम मनोहरके दबावका आदमी था । बेट्मेनके आज्ञानुसार मनोहर, धाँध बहादुर ओर कृपारामका, ज़मानतदार छुआ,




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