देवी सीता | Devi Sita

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Devi Sita by ज़हूरबख्श - Zahurbakhsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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य्प देवी सीता लिये तैयार हुए । देवता मारे डर के शिवजी की स्तुति करने लगे । तब शिवजी ने प्रसन्न होकर वह भारी धनुष देवताओं को दे दिया । देवताओं ने वद्द धनुष जनक के पृवपुरुष देव- रात को दे दिया था । तब से वह मिथिला की राजधानी में ही रक्‍्खा हुआ था । उसे उठा लेना सहज न था । महाराज जनक ने उस धनुष को बात यादकर प्रतिज्ञा की कि जो पुरुष-सिंह इस विशाल शिव-घनुष की प्रत्यंचा खींचकर इस पर बाण चढ़ा देगा कही वीर सीता को पा सकेगा । यह खबर बिजली के समान देश-भर में फैल गई |




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