भूदान यज्ञ | Bhoodan Yagy
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
499
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भवनिप्रसाद मिश्र - Bhavaniprasad Mishr
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है' हमला चाहे जैसा होगा,'हाथ हमारा नही
उखेगा! इत्यादि घोष लब हजारो युवक लगाते
है तव सुनते ही बनना है । सारा जमा हुआ
निराश समाज चालित होझूर उसके ऋपर
नये-नये मेधावी छात्र युवकों को क्रीम ऊपर
भाकर फायेरत हो रही है, यह् इम ग्रान्दोलन
की सवे प्मूत्यं उपलभ्वि मानो जायेगी ।
मदद के लिए बिहार वै बाहर से वार्यवर्तां
पर्याप्त सख्या में आये हैं। अर्थ इकट्ठा हो
रहा है । इस प्राल्दोनन के वारण सर्वोदय की
पूछ बढ़ी है भ्रौर प्राम स्वराज्य के त्य
जनता में--विशेषकर युत्रकों मे-मुप्रतिध्ठित
होने का १६५७ के वाद सुनहता अवसर
प्रथमबार हय ते आया है भ्रन्याय के धरति-
बार को एवं राजनीति के प्रति सजगता की
जो कामियाँ सर्वोदय भान्दोलन भें रह गयी
थी, उनकी पूर्ति जन-प्रान्दोलन से নামাজ
ही हो जाने के कारण सर्वोदिय कार्यक्रमों मे
पूर्णता भ्रायी है।
इन उपलब्धियों के साथ-साथ यह भी
कबूल करना होगा कि भभी इस आन्दोलन
युद्धवादी हए पिना शुद्धि का
में कई कमिया हैं जितकी ओर त्वरित
ध्यान दिया जाता जरूरी है। মী
सपूर्णं कति का नारा दिया यया था, लेहित
कार्यक्रमों की हप्टि से इसका सामाजाथिक
সাহার नाममात्र था। २६ पगस्त की वँठक
के निवेदन बे बाद यह वमी कम हुई है।
সামী হয दिशा में काफी गुजाइश है, जो
धीरे-धीरे. आवश्यकतानुसार पूरी होती
जायेगी । बल्ति एक ही समय में सब कार्यक्रम
ने देकर समाज वे कुछ वर्गों को एवं दलों
को भ्रादोलन मा विरोधी नहीं बनाया गया,
यह नेता की ब्यूटरचना की कुशलता का चोतक
ही माता जायेगा। यह झआाम्शेलन प्रभी शहरो
तक एवं कस्बों तक ही प्रधिवतर सीमित है ।
हजारो देहातों में श्रीर गरीब तबको मे इसे
प्रभी जाना वाफी बाकी है । जैसे-जसे इसका
सामाजिव एवं झ्राधिव झाशय बलवान होगा,
+ बैसे-वेसे यह न्यूतता पूरी होगी। संगठन भमी
दीक से बना ही नहीं है। भाड़ सभी प्रसड
स्तर पर जनसघर्पं समितिया बनना बावी
है। कई पचायतो में एवं गाँवों में जनन्स धरे
समितिया बनी हैं। लेकित प्रमी धनेरू पंचा-
१६ ५
यतो मे एवं गाँवों में बनना बाकी है। कई
स्थानों पर वे विव्किप हैं। इनके सयोजव
ई स्थानो पर राजनीतिक दल के सदस्य
होने से अम्य दलवानों का उत्साह कई प्रसडो
में क्षीणा हुआ है। सर्वोदियी एवं निर्दलीय
कार्यकर्ता प्रधिक सक्षिय हो तो सारे प्रदेश मे
प्रखंड स्तर पर जतन-सघर्प समितिया तब
बनाना कठिन नहीं है। विधान सभा जल्दी
भंग हो, झधिक तेज कार्यक्रम आदि की वार-
वार् रट लगाकर “विहार वद' सरीवे दाय॑क्रम
मे दकैना जाता ै। इमसे षूं प्रषटेयोगर
वी तैयारी मे बाधा पड़ती है । 'तेपट एडवन-
चरिस्ट' के वायंक्रमो मे धान्दालन को न
ढकेलें, इसकी सावधानी बरदी जानी चाहिए।
चन्द शहरों में भातन्त्र फैलाना एवं भारदोनन
को ठप्प व्रता सरकार के लिए प्ासान है ।
लगानवन्दी के कार्यक्रम को हजारों में फ्रेले
हुए देहातो में दबाना सरकार के लिए मुश्किल
है! भागे आन्दोलन की यही दिशा एव
स्यूहरचना हो । साथ साथ शहर के भाज वे
कार्यक्रम भी चलते रहे। इस प्रान्दोलन में
दालमेल का काफी प्रभाव रहा £। বহু
विद्याथियों ने प्रशमनोय कुरदानी की है। तो
भी छात्रों में एवं प्रजा में प्रौर अधिक
निर्भयता वा सचार होने को जरूरत है।
बंसे ही युद्धवादी हुए दिना शुद्धि का प्राग्रह
निरतर रसा जाना भाहिए। इस भोर जय-
प्रकाशजी वा निरतर ख्याल रहता है, यह
खुशी बी वात है।
भविष्य में बराम वी दिशा राहो?
पझाज के कार्य श्रम तो चथये ही थाहिए । साथ-
साथ विद्यार्थियों से एव युवकों में से चपन वर
१००० विद्यार्थी-युवको को छोटे-छोटे पाटूय-
ज्रमो द्वारा प्रशिक्षित बिया जाना चाहिए ।
इससे साचभर समय देने याते १००० प्रशि-
क्षित कार्यवर्ता मिलेंगे, जिनमे से कई আমা
भी नये विहार मे बनाते में वायंस्त रहेगे।
यह इस झान्दोलत बो टोस उपलब्धि होगी )
बसे ही हर जिले में एक, भ्राधा दिल ये
“अध्ययतर मंश्ल' शुरू होने घाटिएं॥ प्रटना
शहर एवं सहृरसा-मुजफ्फर पुर भादि जिलों
में यह बाय क्रम शुरू हुमा है। जयहँ-जगढ़
इसे किया जाना चाहिए। बसे ही सपरूर्ण
प्सहयोग के २४ से ५० सघन प्रखंड बनाने
चाहिए। [इनमे से कइयों में सधन ग्राम
स्वराज्य एव भ्नान्दोनन षा सुलद सयोग
किया जाय । इससे दोनों लाभान्वित होगे ।
यह लडाई लम्बी चतेगी । सपरं छरति
साल दो साल में हो भी नहीं सकती।पाच
साल वी म्यदि! मानरर इसके बारे मे सोचना
चाहिए । जाहिर है, पाँच साल तब' एक जैता
उत्साह या एक ही बायंक्रम रह नही सवेया ।
भविष्य में यह वययं प्रम भारत भर में फैनेया,
ऐसे आसार नजर भा रहे है। विद्वार कै वार्यक्यों
एव मायो की ठीक नव॒ल प्रम्य राज्यों मे करने
की जरूरत है नहों। भारत बे प्न्य हिम्गोमे
भादोलन स्वप्रे रणा से एुवको हारा शुरू होगा,
लेकिन वह जगह-जगह शुरू हो, इसके लिए
जने-जागृति, सोक-शिक्षण, हर प्रदेश मे एक
बारजे० पी० वी यात्रा भादि कार्य त्रम भार
भर में दसाये जाने चाहिए। हसामें विहार र
श्रानदो सन को तो बल मिलेगा ही, भारत भा
बी समस्यायें धर होने मे मदद मिलेगी भ्रः
आग्रह
राजनीतिक, प्राविक तय! सामाजिक তাদাঁ
में नयी व्यवस्था दा सूबपात जतशक्तिद्वारा
होगा । भारत भर में फेलने रे ही सपूर्ण
ब्राति चरिताथ॑ होगी। कई प्रदेशों मे सरवाए
का एवं बॉप्रेसजनों का साध भी इसमें
रहेगा। ऐगा प्रयत्न भ्राग्रहपूवंव विया जाप।
तमिलनाडु के सुरुष मस्त्रो श्री कछ्णानिधि,
में सावंजतिव' रूप रे कट्ठा था कि यदि जय॑*
प्रशाश ग्रप्टाचार, महगाई গ্রাহি ধ विष्द्ध
মান্ব।ান परने वे लिए तमितनाइ पाते हैं
तो उनती सरवार इसका स्वागत जरेगी
और राहयोग भी देगी। इस प्रहार भोका
হীন না যলাল-বেলা বহন लिए शाति-
सनों द्वारा विधायर उपयोग মালে
भर में तिया जाना चाहिए। इसरो बापू ने
सपदो वा भारत बताने में राष्ट्र एक छम्बी
दलाय ते सवया | गर्ताइस साल शूर्मगति मे
घसने बे याद या मोने के बाद भ्रद रामय था
गया है कि राष्ट्र एव लम्बी छतांग मारे।
--टुप्यास অয
भूदा यश : सोमवार, ७ प्रप ४४
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