उर्दू की तरह श्रेष्ठ कहानियां | Urdu Ki Tarah Shreshth Kahaniyan

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Urdu Ki Tarah Shreshth Kahaniyan  by रमेश गौड़ - Ramesh Gaud

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हीरा ११ वृछा नही, पूछेगी । गोरे उसे ख़त लिखते हैं। मेमें उसे सलाम भेजती है । ग्रबके जाएगा तो बगदाद शरीफ के दर्शन भी करेगा, विलायत भी जाएगा। बादशाह सलामत से हाथ मिलाएगा । मतो सुदा का लाख-लाख शुक्र श्रदा करती हूँ । वरयाम चला गया । एक बरस के बाद वरयाम वापस भ्रा गया। उसकी वापसी की घटना बडी विचित्र है । वह अपने गाँव के स्टेशन पर उतरा मगर ऐसे जेंसे उसे जबरदस्ती उतारा जा रहा है। फिर वह चिल्लाया, “भई यह मेरा गाँव कंसे हो सकता है ? वह एकदम प्लेटफार्म पर सरपट दौड़ने लगा। वह लकडी के जगले पर से कूद गया। सीने के बल गिरा और उठा नही बल्कि यों ही छाती के बल रंगता हुआ श्रागे बढने लगा। प्लेटफ़ःम पर खड गोववाले उसकी तरफ बढ़े लेकिन गाड़ी के दरवाजे में खड़े एक फौजी जवान ने उन्हे अपने पास बुलाया और उनसे कोई ऐसी बात कही कि वे जहाँ खड थे, वही जम गए । फिर उसने एक बिस्तर और बक्स गाडी से उतारकर गाँववालों को सौंपा ओर रूमाल से आँखे पोंछता हुआ चलती गाड़ी मे चढ़ गया । रंग-रंगकर आगे बढते हुए वरयाम के आसपास अब बच्चे इकट्‌ठे होवे लगे थे। वह पहले तो बेखबरी में रंगता गया लेकिन अचानक जब उसने अपने सामने बच्चों के साये देखे तो वह चीख॒कर बोला, “लेट जाओ वेव- कुफ़ो ! बच्चे पहले तो इस गरज से दहल गए लेकिन पल-भर बाद एक साथ हँसने लगे और फिर जब उन्हें सामने से जीनो बहराम को क॒ल्हे पर रखे दौड़ती हुई उस ओर आती दिखाई दी तो सब भाग खड़े हुए। उस वक्‍त वरयाम गाँव के कीकर के सबसे बड़े पेड शाह कीकर के नीचे पहुँच गया था । वरयाम ने जीनो और बहराम को देखा तो चीखकर बोला, “लेट जाओ ! / जीनो बिल्कुल बीन के ढंग से चीखी, “तुम्हे क्या हो गया वरयाम ? यह तुम क्या बनकर आ गए लाम से ? ”




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