पद्य - प्रवेशिका | Padya-praveshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
143
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)লাহলল্ব
हिमालय के आंगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार,
उषा ने हँस अभिनंदन किया ओर पहनाया हीरक-हार |
जगे हम, रगे जगाने विश्च, लोक मँ फैल किरि आलोक;
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसति हो उठी अशोक।
विमल बाणी ने वीणा ली कमरू-कोमरू कर में सप्रीत,
सप्त स्वर सप्त सिंघु में उठे, छिडा तब मधुर साम-संगीत |
बचाकर बीज रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रख्य का शीत,
अरुण केतन लेकर निज हाथ वरुण-पथ में हम बढ़े अभीत |
सुना है दधीचि का वह त्याग हमारी जातीयता विकास,
पुरंद्र ने पवि से है लिखा अस्थियुग का मेरा इतिहास |
धमे का ले-लेकर जो नाम इजा करती बलि, कर दी बंद,
हमीने दिया शांति-संदेश्च, सुखी होते देकर आद् |
प, म---£ 9
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