बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सहकारी संगठन द्वारा कृषि वित्त | Bundelkhand Shetra Mein Sahkari Sangathan Dwara Krishi Vitt

Bundelkhand Shetra Mein Sahkari Sangathan Dwara Krishi Vitt by के. पी. गुप्ता - K. P. Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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সপ उद्देश्यानुतार ताब की आवश्यकता :- ः আপ [1 1.1 1. 1 र॒ करम सिंह तथा रामान्ना-* आदि ने भलीभाँति किया हे। भोः रावादी अर्थशास्त्री श्रुम्पीटरः2 साख को -धिकास की घटना यदि तही तमय पर ओर पर्यस्त मात्रा में कृषि साख उपलब्ध हो कुधि की अन्य समस्याओं को हल किया जा सकता है। आर0कै0 तलवार ती बात पर जोर देते हैं- साख की उपलब्धता से कृषि की तभी समस्‍यायें अपने आप हल हौ सक्ती हे।* <“ कषकः को -विभिन्न उद्देश्य एवं काला- धियो के लिर साख कौ आक्रयक्ता हौती है। चकि -विस्त्रत सार्वजनिक को ध्यान भँ रते हर व्यक्तिगत संस्थायै एक सीमित अभिका -निभाती ক हैं, अतश्व कृषि साख की समत्या' को' समाप्त करने हेतु सँल्थागत वित्त ही एक उचित मार्ग है।. प्रायः कुषकों' को दो प्रकार के उद्देश्यों के लिए भ्रण की आवश्यकता... पड़ती है :- ५ ° उत्पादक कायो के लिट :-~ कृषकों को मुख्यतः कृषि उत्पादन, उपज ` की बिक्री, अभि में सुधार व कृषि विकास के लिए ग्रण की आवप्यकता' होती हे। उदाहरणं के लिये बाद,बीज, ` खरीदना, लगान व मजदूरी का भ्रुगतान करना, परत के लिए तथा नरह भूमि को कृषि योग्य बनाना आदि। প্রচ মা ইন মম को न्‍्यायसंगत भी समझा जाता हे। इन गो में इनके अगतान का प्रबन्ध भी निहित रहता है। द ~




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