सूर साहित्य का छन्द-शास्त्रीय अध्ययन | Suur-saahitya Kaa Chhand Shastriiya Addhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
176 MB
कुल पष्ठ :
646
श्रेणी :
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No Information available about गौरीशंकर मिश्र - Gaurishankar Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ : स्र-साहित्य का छुन्दःशाखीय अध्ययन
है। जैसे संसार के लोग हँसेंगे! की जगह “संसार हँसेगा| हम प्रायः बोला
करते हैं। |
्रगरेजी भाषाके छन्दःशाख्यों ने छन्द को पद्यसे कभी संपृक्त नहीं
करिया । उनके श्रनुसार ४९86 (पद्य श्रथवा पद्य का एक चरण) नाम उस
रोव्द-समूह का है, जो साथ-साथ इस प्रकार रखे जाते हैं कि वे छांदसीय प्रभाव
उत्पन्न कर सकें । वर्स लयात्मक शब्दांशों (591]901८8) का वह क्रम है, जो
অবিজী से विभक्त होता है और एक ही पंक्ति को अधिकृत करता है। यहाँ
০136 को छांदसीय प्रभाव उत्पन्न करने वाला कहा है, छन्द ही नहीं मान
लिया है विलियम हेनरी हडसन छन्द को वह नियमित लय मानते हैं, जो
विभिन्न विशेषताओं अथवा मानों के शब्दांशों के क्रमिक परिवतंन से उत्पन्न
होती है। लेसतस एबरत्राम्बी ने लयात्मक ढाँचे की आरोह-अवरोहात्मक
आवृत्ति को छन्द माता ই ।২ आचार्य शुक्ल भी कुछ ऐसी ही बनत कहते हैं--
छन्द वास्तव में बंधी हुई লজ ঈ লিল ভাঁলী (2600) का योग है, जो
निदिष्ट लम्बाई का होता है । लय स्वर के चढ़ाव-उतार के छोटे-छोठे ढाँचे ही
हैं जो किसी छनन््द के चरण के भीतर न्यस्त रहते हैं ।*
इस प्रकार हम देखते हैं कि भ्रग्रेजी छन्द:शारियों ने एक प्रकार से लय
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काव्य मे रहस्यवाद, प« १३५1
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