सूर साहित्य का छन्द-शास्त्रीय अध्ययन | Suur-saahitya Kaa Chhand Shastriiya Addhyayan

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Suur-saahitya Kaa Chhand Shastriiya Addhyayan by गौरीशंकर मिश्र - Gaurishankar Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ : स्र-साहित्य का छुन्दःशाखीय अध्ययन है। जैसे संसार के लोग हँसेंगे! की जगह “संसार हँसेगा| हम प्रायः बोला करते हैं। | ्रगरेजी भाषाके छन्दःशाख्यों ने छन्द को पद्यसे कभी संपृक्त नहीं करिया । उनके श्रनुसार ४९86 (पद्य श्रथवा पद्य का एक चरण) नाम उस रोव्द-समूह का है, जो साथ-साथ इस प्रकार रखे जाते हैं कि वे छांदसीय प्रभाव उत्पन्न कर सकें । वर्स लयात्मक शब्दांशों (591]901८8) का वह क्रम है, जो অবিজী से विभक्त होता है और एक ही पंक्ति को अधिकृत करता है। यहाँ ০136 को छांदसीय प्रभाव उत्पन्न करने वाला कहा है, छन्द ही नहीं मान लिया है विलियम हेनरी हडसन छन्द को वह नियमित लय मानते हैं, जो विभिन्न विशेषताओं अथवा मानों के शब्दांशों के क्रमिक परिवतंन से उत्पन्न होती है। लेसतस एबरत्राम्बी ने लयात्मक ढाँचे की आरोह-अवरोहात्मक आवृत्ति को छन्द माता ই ।২ आचार्य शुक्ल भी कुछ ऐसी ही बनत कहते हैं-- छन्द वास्तव में बंधी हुई লজ ঈ লিল ভাঁলী (2600) का योग है, जो निदिष्ट लम्बाई का होता है । लय स्वर के चढ़ाव-उतार के छोटे-छोठे ढाँचे ही हैं जो किसी छनन्‍्द के चरण के भीतर न्यस्त रहते हैं ।* इस प्रकार हम देखते हैं कि भ्रग्रेजी छन्द:शारियों ने एक प्रकार से लय ৬০:৪০--0)৪08006. £1%572 0 21. 89360101858 0£ ५0108 86 01906 00865006195 10 0100০ >, पाला ` ০81 €6০--4 56196 19 2. 86169 ग 11090020109] 311910153, 11060. फ़ 1020868, 2:00. 65006. 1০9 0900010% 9 ४7816 1106,-- -+10ए26094८१३०७ 11812108 ৬০] 23 7 96. फए 20606 ৮/০ 06791820008 00066010900 ৮1101) 1630105 0010. 2 16601960. 2166150900303 ज 5१112168 01 01061610% 01798005301 ৪17853__ ও 10000006007 60 026 900: 0?[,0678816.,150 ১1505 38 10700819060 17619600010, 01৪. 11000170109] 70820. :20010165 ০0101021351 095০৭. ৮৮ 1, 6. 42. काव्य मे रहस्यवाद, प« १३५1




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