भूगोल | Bhoogol

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Bhoogol by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १९). होकर अस्व सागा को जाती है। यहाँ पर इसकी ऊँचाई कम हो जाती है। और समुद्र तट के समातानन्‍तर सैकड़ों मील तक परिचिम की ओर जाती हुई करमात के दक्षिण-पूर्व तक जाती है । यहाँ से फारस की खादी के समानान्तर उत्तर-पश्चिम का रख धारण कर लेती है । यह धेणी जहाँ पर फारस के मध्य में पहुँचती है। वहाँ कोहे-हजार और (कोहे लालाजार) नामी उँची चे।थियाँ निकली हुई हैं। जिनकी ऊँचाई . १३,००० फ़ीट तक है। फ़ारस की पश्चिमी सीमा वर भी पहाड़ियों की ऊँचाई अधिक है । अन्त मे ये समानान्तर श्रेणियाँ अरारात के पास उत्तरी श्रेणियों से मिल जाती हैं। भीतरी श्रेणियाँ पठार की श्रेणियों के मुकाबिले में अधिक ऊँची हैं पर वे इतनी प्रसिद्ध नहीं हैं कोहे तफकतन बड़ी विलक्षण चोटी है। यह एक ज्वाला मुखी की चोटी है और वलोची सीमा के पास १३,००० फुट ऊँची हे । श्रधिक परिचम में कोहे वज्ञमन रेगिस्तान के मध्य में स्थित है। यह शान्‍्त ज्वाला मुखी है। इसकी सुन्दर चोटी ११,००० फुट ऊँची है। ईरान के पश्चिम में अलवन्द पर्वत ज़ाग्रोस की एक शाखा है। ओर हवादान के ऊपर उठा है । फारस का. यह पत्रत पूर्वी पर्वतों से कही अधिक प्रसिद्ध है । दूसरी और भी कई श्रेशियं है । जिनसे पानी की श्रसंस्य छोटी छोटी धाराये निकलती हैं और सिंचाई के काम आती हैं इस प्रकार फारस में एक एक करके कई श्रेणियां हैं वे एक दूसरे की सामानान्‍्तर हैं और ऊँचाई में एक दूसरे से टक्कर लेती हैं । फारस के सम्बन्ध में एक अनोखी बात यह हे कि यहाँ डँचे से ऊँचे पव तों पर भी হিলামাহী 'ग्लेशियर' का अभाव है किसी पवत पर ग्रीष्म ऋतु में बरफ़ नहीं रहती । फेवल उत्तरी सपाट घाटिओं में कहीं कहीं कुछ बरफ़ मिलती है इस प्रकार चोदह हज़ार फुट ऊँचे कोदे लालाज़ार पर जुलाई मास में कुव न कुवे बर्फ रहती है । 'दमावन्द' का ज्वालामुखी भी बरफ से भरा हुआ है। खुरासान में ६,००० फुट की ऊँचाई पर हो कहीं कहीं बरफ़ मिलती है ।




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