श्री प्रवचन सार परमागम | Shri Pravachan Saar Parmagam
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
262
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4/4३९०९३):२-२६-+७०००३;-२-६६+४००३२-२६६+४७-*०२-२-६६१४७०९३२:२-६८-१७७७ দি “=
হু
ৃ ओंनमः सिद्धेभ्यः
| काशीनिवासी कविचरतरन्दावनविरचित- 1
ए ६
| प्रवचनसार। |
॥ मंगखाचरण । पटपद् । ॥
¦ खयं सिद्धिकरतार, करे निज कम शर्मनिषि। ঃ
॥ আদ करण खरूप, दोय साधन सोधे विपि ॥ |
६ संग्रदानता घेरे, आपको आप समप्पे । ई
॥ अपादाने आप, आपको थिर कर थप्पे ॥ |
; अधिकरण दोय आधार निज, वरते पूरणत्रह्म पर ।
| इमि पट्विधिकारकमय रहित, विविध एक विधि अज अमर॥ १॥ |
दोहा ।
॥ मटततक्त्व महनीय मट. महाम गुणघाम । |
¦ चिढानद् परमातमा, वटो रमत्ताराम ॥ २ ॥ ॥
| एनयदगनि युवचन अवनि; रमन स्यातपट शुद्धि । ]
1 जिनवानी मानी सुनिष, घटम करहु सुचुद्धि ॥ ३१॥ 1
| चापार् । )
{ पच एष्ट पदे पद चन्दो ] सत्यरूप गुस्गुण अभिनन्दा । 1
| प्रवचनसारग्रन्थडी टीझा । बाटबोघभाषामय नीका ॥ ॥ )
६ । ९ सेज । ` २ सुनिसज । हा ऋण:
০ प क प 3८९ द
क
User Reviews
No Reviews | Add Yours...