श्री प्रवचन सार परमागम | Shri Pravachan Saar Parmagam  

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Shri Pravachan Saar Parmagam   by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4/4३९०९३):२-२६-+७०००३;-२-६६+४००३२-२६६+४७-*०२-२-६६१४७०९३२:२-६८-१७७७ দি “= হু ৃ ओंनमः सिद्धेभ्यः | काशीनिवासी कविचरतरन्दावनविरचित- 1 ए ६ | प्रवचनसार। | ॥ मंगखाचरण । पटपद्‌ । ॥ ¦ खयं सिद्धिकरतार, करे निज कम शर्मनिषि। ঃ ॥ আদ करण खरूप, दोय साधन सोधे विपि ॥ | ६ संग्रदानता घेरे, आपको आप समप्पे । ई ॥ अपादाने आप, आपको थिर कर थप्पे ॥ | ; अधिकरण दोय आधार निज, वरते पूरणत्रह्म पर । | इमि पट्विधिकारकमय रहित, विविध एक विधि अज अमर॥ १॥ | दोहा । ॥ मटततक्त्व महनीय मट. महाम गुणघाम । | ¦ चिढानद्‌ परमातमा, वटो रमत्ताराम ॥ २ ॥ ॥ | एनयदगनि युवचन अवनि; रमन स्यातपट शुद्धि । ] 1 जिनवानी मानी सुनिष, घटम करहु सुचुद्धि ॥ ३१॥ 1 | चापार्‌ । ) { पच एष्ट पदे पद चन्दो ] सत्यरूप गुस्गुण अभिनन्दा । 1 | प्रवचनसारग्रन्थडी टीझा । बाटबोघभाषामय नीका ॥ ॥ ) ६ । ९ सेज । ` २ सुनिसज । हा ऋण: ০ प क प 3८९ द क




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