यूरोप का आर्थिक इतिहास | Europe Ka Arthik Itihas

Europe Ka Arthik Itihas  by मूलराज गंगाहर - Moolraj Gangahar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्रौद्योगिक क्रांति ६ के प्रति उसकी ग्रधीनता ने वह रूप धारण नही किया था जो कि झ्रागामी समय में देखने को मिला व्यापारिक क्षेत्र में यद्यपि वह मालिक पर निर्भर करता था परन्तु औद्योगिक क्षेत्र मे वह स्वतन्त्र ही था। वह ्राडंर-पर वस्तुं तयार करता था परन्तु प्रधान कारीगरके ्ादेगो से ्रभी तक वह्‌ मुक्त था। अपनी छोटी-सी शिल्पशाला में वह अब भी अपना स्वामी आप था । ग्रोयोगिक काति ने “यित्प-शाला उत्पादन की इस मध्यकालीन प्रणाली की समाप्तन्कर दिया | मशीन के आने से श्रमिक बड़े बड़े कारखानो में एकत्र होने लगे और मालिक अथवा उसके श्रादमियों की देख-रेख में काम करने लगे। कार्य-कुशलता के विचार से कारखाना-प्रणाली की उत्तमता श्रसन्दिग्ध थी और वह इतनी स्पष्ट थी कि मशीनी उत्पादन से पूर्व ही १६वीं शताब्दी में इगलेड में कारखानों को स्थापित करने की चेष्टा की गई थी । ये प्रयत्न सफल नही हुए थे क्योकि एक तो उस समय के उद्योगपतियों के पास पूजी की कमी थी, दूसरे कारीगरो ने भी विरोध किया था । उन्होने अपने घरो की स्वतत्रता को छोड कर कारखाने के अनुशासन को अपनाने से इनकार कर दिया था। उनका यह विरोध तब तक दूर न हो सका जब तक कि मशीनों के प्रयोग से मालिक का पलडा भारी न हो गया । दस्तकार मशीनी वस्तुग्रो की प्रतियोगिता के आगे खड़े न' रह सके और उनके सामने घृणित कारखानो में जाने के अतिरिक्त दूसरा कोई मार्ग ही न रहा । आज का श्रमिक जो कारखाने के अतिरिक्त अन्य किसी व्यवस्था को नही जानता, अनुमान भी नहीं लगा सकता कि घरेलू दस्तकार को कारखाने का अनुशासन अपनाने में कितना मूल्य चुकाना पडा था। कारखाना-प्रणाली का जन्म तो बडे परिमाण के उत्पादन की ओ्रोर साधारण प्रवृत्ति का केवल-मात्र एक उदाहरण ही है। वर्तमान औद्योगिकरण की मुख्य विशेषता यही बडे परिमाण का उत्पादन ही तो है। झौद्योगिक इकाई में विस्तार होने के साथ-साथ व्यापारिक इकाई में भी वृद्धि होती गई। निजी व्यापार, साभेदारी, सीमित दायित्व वाली कम्पनी (विस्तृत विवरण के लिये अध्याय ६ पढिये) और अन्तत शअ्रतेक प्रकार की ट्रस्ट सस्थाओ्रो (विस्तृत विवरण के लिये अ्रध्याय १५ पढिये) का विकास होता चला गया । बडे परिमाण के उत्पादन की प्रवृत्ति फ्रास में ब्रिटेन अथवा जमेनी की ग्रपेक्षा कम निश्चित रही है। फ्रास में मुख्य औद्योगिक इकाई कारखाना नहीं वरन्‌ शिल्पशाला ही है। १६०१ ई० मे, ६ लाख औद्योगिक सस्थाओं में से ८० प्रतिशत ऐसी थी जिन में चार अथवा चार से कम कारीगर काम करते थे। फ्रॉंसीसी उद्योगपतियों ने बडे परिमाण पर उत्पत्ति करने के ढंगो को कोई अधिक नही: अपनाया है । कोयले की कमी एक बडी भारी बाधा रही है ओर वे उन व्यवसायों में विशिष्टीकरण प्राप्त करना अच्छा समभते है जहाँ कि कारीगर




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