रुकमणी मंगल | Rukmani Mangal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १४ |
जानकारी के लिए कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत करते हुए हम प्रस्तुत पुस्तक के
अनुवादक एवं सम्पादक डॉ० सत्यनारायण स्वामी मौर उनके गुरुवयं के
प्रति आभार प्रदर्शन करते हैं, जिनके अनुग्रह से यह राजस्थानी कृति हिन्दी-
जगत् के सम्मुख सुलभ हुई है। आपके चित्र पृष्ठ १६ पर दिये जा
रहे हैं ।
आभार-प्रदर्शन--
ट्रस्ट के भाषाई सेतुकरण की योजना को, उदार सदाशयों, विद्वानों,
एवं उत्तरप्रदेश - शासन से प्राप्त सहायता से सहारा मिलता रहा है।
अन्य भाषाई ग्रन्थों के साथ, राजस्थानी 'रुकमणी मंगछ” भी अपनी सहज
गति से प्रकाशित होता रहता। सौभाग्य से केन्द्रीय उपशिक्षा मंत्री
माननीय श्री डी० पी० यादव, भारत सरकार के राष्द्रभाषा सलाहकार
बहुभापा-ममंज्ञ श्री रमाप्रसन्चन नायक और शिक्षा एवं समाज कल्याण
मंत्रालय के शिक्षानिदेशक श्री सनत्कुमार चतुर्वेदी जी की अनुकम्पा हुई
जिसके फल स्वरूप पुस्तक परिपृर्णता की ओर विशेष गति से अग्रसर
हुई । हम उनके अतिशय अनुग्रहीत हैं ।
रघुमल ट्रस्ट कलकत्ता--
प्रशंसित ट्रस्ट से गत वर्ष प्राप्त सहायता का सदुपयोग नेपाली
की सुप्रसिद्ध भानुभक्त रामायण के प्रकाशन में हुआ था। 'इस : वर्ष
पाच हजार की राशि, श्री रघुमल ट्रस्ट, ने पुनः प्रदान की है। इसका
बल पाकर राजस्थानी स्कमणी मंगठ' का प्रकाशन तत्काल भारत की
जनता के सम्मुख प्रस्तुत है। हम रघुमल ट्रस्ट, कलकत्ता के জনগ্পী
समस्त न्यासीगण को भुवन वाणीदूस्ट की भीर से आभोर प्रकट
करते है। आशा है भाषाई सेतुकरण के पुनीत वाणीयज्ञ में उनका अनुग्रह
हमको सदैव प्राप्त होता रहेगा ।
हम विश्वास के साथ निवेदन करते हैं कि भुवन वाणी ट्रस्ट की
भाषाई सेतुकरण की विशाल और अद्वितीय योजना उत्तरोत्तर फलवती
होकर राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को पुष्ट करती रहेगी ।
लखनऊ नन्दकुमार अवस्थी
२५ माचं, १९७७ मुख्यन्धासी सभापति, भुवनवाणी दृस्ठ, लखनऊ-रे
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ईपुस्तकालय
at 2019-10-09 17:08:16Tej Parkash
at 2019-10-08 17:03:05