अध्यात्म विचार और आत्म्भावना | Adhayatam Vichar Aur Atmabhawana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
348 KB
कुल पष्ठ :
40
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( (४ )
श्राचार्यं कहते हैं बहुत कहने से क्या ओर
इन विकदपों से क्या सिद्धि है, वास्तव मे जे।
परमार्थं हे बकी एक निरन्तर श्ननुभव करना,
क्यों कि निश्चय से अपने आत्मा का ही अनु-
মন্ব करना चाहिये ।
समयसार अ० ९ छो ५१
( १५ )
सम्यक् हृष्ट वचार करता है कि জী
सांसारिक दस लोक सम्यन्ध सुख रे बह सथ
चंचन्द्री सम्बन्धी विषयों स होने वाला है
धास्तव में वह सुख नहीं है किन्तु सुख्वाभास
मात्र हे निश्चय से धद् दुसख ही है इस लिए
User Reviews
No Reviews | Add Yours...