अध्यात्म विचार और आत्म्भावना | Adhayatam Vichar Aur Atmabhawana

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Adhayatam Vichar Aur Atmabhawana by मोतीलाल गर्ग - Motilal Garg

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( (४ ) श्राचार्यं कहते हैं बहुत कहने से क्या ओर इन विकदपों से क्या सिद्धि है, वास्तव मे जे। परमार्थं हे बकी एक निरन्तर श्ननुभव करना, क्यों कि निश्चय से अपने आत्मा का ही अनु- মন্ব करना चाहिये । समयसार अ० ९ छो ५१ ( १५ ) सम्यक्‌ हृष्ट वचार करता है कि জী सांसारिक दस लोक सम्यन्ध सुख रे बह सथ चंचन्द्री सम्बन्धी विषयों स होने वाला है धास्तव में वह सुख नहीं है किन्तु सुख्वाभास मात्र हे निश्चय से धद् दुसख ही है इस लिए




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