संस्कृत-प्राकृत हस्तलिखित ग्रंथों की विवरणात्मक सूची (भाग १ ) | Sanskrit Prakrit Hast Likhit Grantho Ki Vivaranatmak Suchi Vol. - I
लेखक :
ओंकारनाथ वर्मा - Onkarnath Varmna,
कल्पना वागची - Kalpana Vaagchi,
कैलाशचंद्र त्रिपाठी - Kailashchandra Tripathi,
चंडिका प्रसाद शुक्ल - Chandika Prasad Shukla,
मनराज यादव - Manraaj Yaadav
कल्पना वागची - Kalpana Vaagchi,
कैलाशचंद्र त्रिपाठी - Kailashchandra Tripathi,
चंडिका प्रसाद शुक्ल - Chandika Prasad Shukla,
मनराज यादव - Manraaj Yaadav
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
517
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ओंकारनाथ वर्मा - Onkarnath Varmna
No Information available about ओंकारनाथ वर्मा - Onkarnath Varmna
कल्पना वागची - Kalpana Vaagchi
No Information available about कल्पना वागची - Kalpana Vaagchi
कैलाशचंद्र त्रिपाठी - Kailashchandra Tripathi
No Information available about कैलाशचंद्र त्रिपाठी - Kailashchandra Tripathi
चंडिका प्रसाद शुक्ल - Chandika Prasad Shukla
No Information available about चंडिका प्रसाद शुक्ल - Chandika Prasad Shukla
मनराज यादव - Manraaj Yaadav
No Information available about मनराज यादव - Manraaj Yaadav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वैदिक : संहिताएँ और साहित्य ७
म कदय अतय
पक्ति दरशा/परिमाण | ্ ১
(से० भी०) (৬১ 4 (मनु० छन्द ! लिपिकाल विशेष विवरण
_ <८(क) <(ख)८(ग)८(घ)| ९६९ | ९१० ১ ~~
1২৮৫ ५ ५३ ५ । १२ | पूणं/९९ ~ पुरुपसुक्त पर महर्षि झीनककृत
भाष्य
२१.४५८ २ ७ | ३१ | पणं/२५४८ | १६९४ वि०। लिपिकाल की दृष्टि सै महत्त्वपूर्ण
है
२४.५८ ११ ७५ | ७ | २८ | पूणं/४५९ १९१७ वि० ~
२१११० ३७ | ९ | २० | अपूर्ण/२०८
१५१६ १० १६ | ११ | १६ | पूर्ण/८८ १७१५ ल
२४.८१२ २ ५४ | ६ | ३२ | अपूर्ण ३२४ | १७४६ वि०| इसमे चार अध्यायो मे यल्ुवेदीय मन्त्रो
(आश्विनशुक्ल, की विशिष्ट व्यवस्था समभाई गई है
भीमवार )
१८०८६ ३।| ७ | २० | पूर्ण १३ =
१४१८ १० ५| ९ | १० | पूणं।१४ हे
२३७९ ६००| ५ | २१ | पूणं।१९६९ - -
१६ ५५८१० ५ | १७०| ६ | १० | पूणं/३१९ १९४१ वि ०| इसमे वाजसनेय सहिता का प्रसिद्ध
रुद्राष्टाध्यायी भाग प्रतिपादित है
मन्त्रो के स्वर चिह्नित भी है
२४ २२११५ | ११५७ ४ | १५ | अपृर्ण/२१९ ~ -
१६.८९ १७ | ९ | १६ | पूणं/७५ ~
१९.८८ ४० ६ | २० | पृर्ण/१५० ~ টু
User Reviews
No Reviews | Add Yours...