महावीरोदय | Mahaviroday
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
101
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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गवान ऋषभदेव जैन धर्म की गंगोत्री हैं तो
भअ महावीर स्वामी गंगासागर । गगा अपने उद्गम
स्थल (गंगोत्री) हिमालय से एक पतली लकीर के रूप
में यात्रा शुरू करती है लेकिन जैसे-जैसे वह आगे सरकती
है उसमें कई धाराएं आकर मिलती जाती हैं और वह
विशाल होती चली जाती है तथा आगे चलकर गंगासागर
का रूप धारण कर लेती है। जैन धर्म की गंगा भगवान
ऋषभदेव से शुरू होती है। अजितनाथ से तीर्थकर
पार्श्वनाथ आदि बाईस तीर्थकरों के धर्म-घाटों से गुजरती
हुई महावीर के घाट तक पहुचते-पहुचते गंगासागर के
विराट रूप को धारण कर लेती है। महावीर जैन धर्म
की भव्य इमारत के भव्य कलश हैं तो ऋषभदेव नींव
है। हम कलश को पूजं किन्तु नीव के पत्थर कोन
भूते ।
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