नरक दर नरक | Narak Dar Narak

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Narak Dar Narak by ममता कालिया - Mamta Kalia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रतदर्ष का इतिहास इस तरह मे घचकता शायद नेहरू को लिज न मारता । शायद नेहरू युग इस फीकी तरह खत्म न ता 1 सुभाष बोला हो फिर हमारे उद्योग को यहूं गजब का सेशन न भुगतना पड़ता 1 ये बड़ी-बड़ी इमारतों यों लप्नबतों पही रहतीं । कर्टीन की खिड़की से फ्लोरा फाउन्टेन के लास-पास के लाके में दर्जनों ऊंची-ऊंची इमारतें अधवनी यों थड़ी थीं जेसे कसी ने बीच में ही शॉट फीजें कर दिया हो। कारोबार ठप्प हो गए थे । अधिकांश नई योजनाओं पर पानी फेर गया या । हिन्दुस्तान पूरी तरह ढगमगा गया था । शातों- तत सदावहार नेहरू वुढ़े हो गए थे । पड़ोसी देशों का रुद बदल या था । हमारी सीडरशिए पर भजीवोगरीक टिप्पणियां दे रहा था। दर तुरक्िया के पा आाज की शाम गुलारने का कोई खास नहीं था । उसने आदतन प्रस्ताव रखा मिस जैन भाज शाम एक्सेलसियर पर मिलें बढ़िया मूवी लगी हुई है. टू फॉर द रोड । उषा को सकोच हुआ । उसने अब तक सिनेमा मां-पापां के साथ देखा था या सहे-- लियों के । यह पहुला मौका था 1 कॉपते उत्साह से झनझनाते हुए उसने कहा हो लेकिन एक्सेलसियर किस तरफ है ? टैक्सी वाला बता देगा । सुभाष ने कहा उषा को उठने की हो गई थी । सी यू । कहती बहू वहां से विकल अपने कमरे में आआा गई । कमरे में सिर्फ रेनु रहेडा थी। वद शोशे के आगे बठी अपनी भें संवार रही थी। बिना कपड़े बदले बिदा थाना खाये उपा बिस्तर पर पढ़ गई। ढर सौर उत्साह की सनसनी उसे आन्दोलित किए जा रही थी । रेनु उसके चेहरे का सतरंयापन न देख से इसलिए. रे नरक दर तरक है




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