चार्लि चैप्लिन | Charlie Chaplin

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Charlie Chaplin  by आनन्द देव - Anand Dev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ ग्षियाँ, जिन्हें चालीं अपना खसोरःसमर्मती था, अवदय ट, , उसे दुःखदाई लगी दवोंगी। अपनी अवस्था के अन्य ता ¦. । बालकों के समान बढ भी शारीरिक और मानसिक शक्ति / से कीर था । । उसका जीवन सुख और शक्ति से रद्दित थो, पुस्तकें तो चार्ली-कछटम्व के लिये मूल्य धेन के समरन री * খাঁ। अपने स्थृति-काल में शायद ही उसने कभी नगर फी शान्ति और सुन्दरता से लाभ उठाया हो। उदाहरणाय चालत णातपण्‌ एमा -नामक पुस्तक में वह साउदेम्पटन से लन्‍्दन फी यात्रा के विपय से लिखते हुए कद्दता हे, कि धास अब पहले जितनी हरी नहीं मालूम होती । फिर कैनिंग्टन-पाक के विषय में जिसता है कि कैनिंग्टन पाक कितना दुख'भय है। सारे ही उद्यान जुखमय हैं, क्योंकि वे सुनसान हैं। मनुष्य उनमें तभी जाता है, जप चह्ट अकेला होता है। एकान्तता दु स है, और इसी- लिये उद्यान दु ख फी सजीव मूर्ति ই। आकृतिक सौन्दर्य की ओर उसका यह ज्ञान, उराकी वाल्य-काल की अशिज्ञा के सिवा और क्या फट्ठा जा सकवा ই? परन्तु बद्व फी ये प्रसिद्ध प॑क्तियाँ सी देसिये-- “कितना सुन्दर था बह स्थान--जहाँ की सुन्दर घाटियाँ, उयान और ऋलकल-गादिनी नदियाँ, प्रथ्वी, तथा प्रत्येक दृश्य स्वर्ग के समान सुन्दर जान पड़ते थे ! परन्तु आह ! आज षडे सुखमय स्वप्न नष्ट होगया, ओर उसकी स्यति




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