अन्त: तरंग | Antah Tarang
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अंतहःरार्ग [| १७
दै घाद दोदर बधक ममर्द, पे देर, धूप में रखा अपार या फ्म तैयार अमापट
छपादि का स्वाद ग्रहण करते-फिरते 1....आर्चर्प | भूछ भी इतदी लगती-भग्ुभरण
सोचते....रात दिन खाऊ-साऊँ। आदकस के सहकों के ' मुंह से तो मृत! घम्र सुनाई
ही गहीं पढ़ता है। 'साता” लेकर उनके पीछेन्सीछे पूमना पढ़ता है ! शापद सब धरा
में नहीं धूमता पढ़ता है। चानु भाषा में तो फहा ही छाता हैं--पर में पुछ नहीं तो
भूख ज्यादा । '
पर एक-एक बार सोचते दम लोग छो लक्ष्मी की कृपा' पाने घर के लड़फे थे ।
जबकि हम लोग रादास हो गये थे। अपने घर की नियमेवद्धता फे धीष चापद
इतना नहीं, पर ननिद्वाल में आते ही ऐसा दो जाता ।....विभू पृष्ठता, 'मश्या, वहाँतों
राव-दित भूख नहीं लगा करती थी। यहाँ बाते हो हुए समय पेढ भे भाम प्यं जसां
करती है ? १ #
'भइया' अगर आज के प्रमुचरण होते तो शायद समझा ঘাড় | समभाते पूर्ण
स्वाधीनता और खाली दिमापग्र तथा दुष्टतापूर्ण मोजनाशक्ति, इन तीनों फे सम्मितन से
ही ऐसा होता है। लेकित उस समय का 'भदया' दोनों हाथ नचा फर कहता,
भगवानु আন 1 , ৫ ॥ +
सचमुच । जो अपनी समझ में न आये उसे जानने का उत्तरदाधित्व भगवान फे
अलावा भौर किसका है?
एक बार उसकी 'साऊँ-खाे' की बजह से भय॑क्र दुर्गति हुई थी ।,...हासोंकि
ঘি प्रभु-विश्न हो नहीं, साथी-संगाती सभी को दुर्गति हुई थी वोकि वे भी कुछ कम
न थे। इसके अतिरिक्त प्रमु-विभू के आते ही उनका मनोवल बढ़ जाता ।
वे अचानक पकड़े जाते तो अवायास ही 'अतिपियो” के कन्पीं पर दोष डास कर
विश्चिन्त हो जाते और वेवक्त खाने के लिये माँगने जाते दो येमिम, कहत, ्रभरदादा
माँग रहे हूँ। विभूदादा ने कहा | ए
[।
৮৪৪
4 1
द
पर, कहाँ ? इन बातों से हम तो कभी गुस्सा नही, होते-पे,? दम समक णाते
৭ ইনাযালাম উন ই বাত হান উ নব আয 1... বিধাতা
च्य, ९ 1 दि लो कद् देना कि ष हरसो गोदी.
४ छ ८ ` ज তি
18 ঘাঁ। ইবীধাতিখা 2 ^ `
है? बहुत हुआ तो छोटे भामा § ह; 1
मा कहते, “ 1 ५०८ “
के षगारई-मधाई( ` » न ইসা এ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...