सुबह कुछ शाम कुछ | Subah Kuch Shaam Kuch
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
389 KB
कुल पष्ठ :
97
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक प्रश्न तुमसे
फूल
जुभने लगें यदि
काटे बन जाये
हो निकाल फेकना चाहिए उ्
यहीं तो होता रहा द
आज तक !
ख़िले हुए,
गुलमोहर के नीचे,
बैठा था मे चुपचाप:
चेर लिया अचानक
यवूल के
बड़े बड़े काँटों ने मुझे
चारों ओर से।
सुबह कुछ « शर्म सुर
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