गोरखपुर जनपद का पुरातत्त्व | Gorakhapur Janapad Ka Puratattv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
228
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्षेत्र का सामरिक महत्त्व बढ जाता है। इस क्षेत्र मे निवास करने वाली जनता का नजदीकी सम्पर्क नेपाल
देश से, सामाजिक, राजनीतिक, रूस्कृतिक एवं अन्य कारणो से लम्बे समय से चले आ रहे है।
गोरखपुर मडल की भूमि का ढलान प्राय उत्तर से दक्षिण की ओर है। इस क्षेत्र से होकर प्रवाहित
होने वाली मुख्य नदियाँ, अचिरुवती अर्थात् राप्ती (234 किलोमीटर), सरयू (77 किलोमीटर), रोहिणी (109
किलोमीटर), आमी (77 किलोमीटर) तथा कुआनो (3 किलोमीटर) है, जो जल निकासी व सिचाई का मुख्य
स्रोत है। इनके अतिरिक्त गोर्रा एव बरही नदियों का प्रवाह भी जनपद मे है। गोरखपुर राप्ती नदी के तट पर
स्थित है। इसके दक्षिणी सीमा पर घाघरा नदी पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। उत्तरी भू-भाग की
तुलना मे दक्षिण में छोटे-छोटे नालो की सख्या अधिक है। 1700 एकड क्षेत्रफल मे फैली विस्तृत नैसर्गिक
झील रामगढताल गोरखपुर शहर मे प्राकृतिक रूप से बारहो मास जल प्लावित रहता है। बखिरा झील बस्ती
जनपद में अवस्थित है |
गोरखपुर क्षेत्र की समुद्र तल से ऊँचाई 185 मीटर है। वर्षा ऋतु मे यहा के नदी-नाले विकराल रूप
धारण कर लेते है जिससे पर्याप्त कृषि सम्पदा और जन-धन की हानि होती है । इसमे नेपाल देश की नदियो
का भी कहर होता है। बाढ आने से यहाँ की भूमि की गुणवत्ता मे परिवर्तन होता रहता है जिससे कृषि
उत्पादन प्रभावित होता रहता है।
जिले मे दो प्रकार की भूमि की बनावट पायी जाती है। जिले के उत्तरी भाग मे मिट्टी दोमट है
परन्तु कुछ अश चिकनी मिद्टी का भी है, जो धान और गेहूँ के लिये उपयुक्त है। इस भाग में जगल
कौडिया, कैम्पियरगज, धानी, भटहट, पिपराइच एवं चरगॉवा विकास खण्ड आते है। जिले के दक्षिणी भाग में
सहज नवाँ, पाली, पिपरौली, खजनी, बॉस गाँव, गगहा, कौडीराम, बडहलगज, गोला उरूवा, सरदार नगर,
ब्रह्मपुर तथा बेलघाट आदि विकास खण्ड है।
वर्ष 1989 में महराजगज जिला घोषित हुआ जो पहले गोरखपुर का ही एक भाग था। अधिकाश वन
का क्षेत्र नये जिले मे चला गया परन्तु फिर भी कृछ क्षेत्र कैम्पियरगज, चरगॉवा तथा खोरबार विकास खण्डों
मे सुरक्षित रहा | कृसुम्ही वन क्षेत्र का एक बडा भाग इस जिले मे आज भी मौजूद है। इसमे इमारती लकडी,
साखू शीशम, सागोन, असनाकरफुस, बॉस आदि का बाहुल्य है। इसके अतिरिक्त नहरो एव सडको के किनारे
गॉव-समाज, सस्थाओ एवं निजी भूमि पर वन प्राप्त होते है। लगभग 22190 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे वन है।
जिले मे प्रमुख खनिज की उपलब्धता नहीं है। नदियों का भी क्षेत्र सीमित है। उनकी तलहटी से
बालू निकालने का कार्य होता है, जिसका उपयोग भवन निर्माण मे अधिक किया जाता है। इसी प्रकार मिट्टी
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