धर्म शिक्षा | Dharma Shiksha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about लक्ष्मीधर वाजपेयी - Laxmidhar Vajpeyi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेशेषिक शास्त्र के कर्ता कणाद मुनि ने धमं की व्यांख्या
इस प्रकार की हे--
यतोऽभ्युद्यनिःश्रेयससिद्धिः स ध्म॑ः।
श्रघ्ताति जिससे इस लोक श्रौर परलोक, दोनों में सुस्त मिल्रे,
वही धमं है। इससे जान पड़ता है कि जितने भी सत्कर्म है,
जिनसे हमको खुस्त मिलता है, और दूसरों को भी खुख
मिलता है, वे सब धमम के अन्दर आ जाते है ।
दम केसे पहचाने कि यह मनुष्य धामिक है, इसके लिए
मनु महाराज ने धर्म के दस तक्षण बतलाये हैं। वे लक्षण इस
प्रकार ই
धृतिः तमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्ियनिम्रहः ।
धीविंचा सत्यमकोधो दशकं धर्म॑ल्तणम् ॥
श्र्थात् जिस मनुष्य मे चेयं दो, क्षमा হী, লী विषयो मे फसा
न दो, जो दूसरे की वस्तु को मिट्ठी के समान समभता हो, जो
भोतर-बाहर से स्वच्छु दो, जो इन्द्रियों को विषयों की ओर
` से रोकता दहो, जो विवेकशील दो, जो विद्वान दो, जो सत्यवादी,
सत्यमानी और सत्यकासी हो, जोक्रोध न करता हो, वदी
पुरुष धामिंक है | ये दस बाते यदि मनुष्य अपने अन्द्र धारण
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