आठ पहर यों झूमते | Aath Pahar Youn Jhumte
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
738 KB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आठ पहर यूं झूमते सत्य की झलक मेरे प्रिय आत्मन एक राजकुमार था बचपन से ही सुन रहा था कि पृथ्वी पर एकरेसा नगरभीहैज हां कि सभी लोग धार्मिक है| बहुत बार उस धर्म नगर की चर्चा बहुत बार उस ध र्म नगर की प्रशंसा उसके कानों मेँ पड़ी थी| जब वह युवा हुआ ओर राजगदी काम लिक बना तो सवते पहला काम उसने यही किया कि कुछ मित्रों को लेकर यह उ स धर्म नगरी की खोज में निकल पड़ा। उसकी बड़ी आकांक्षा थी उस नगर को देख लेने की जहां कि सभी लोग धार्मिक हो| बड़ा असंभव मालूम पड़ता था यह।बहुत दिनि की खोज बहुत दिन की यात्रा के बाद वह एक नगर में पहुंचा जो बड़ा अनू ठा था। नगर में प्रवेश करते ही उसे दिखायी पड़े ऐसे लोग जिन्हें देखकर वह चकि त हो गया और उसे विश्वास भी न आया कि ऐसे लोग भी कहीं हो सकते हैं। उस नगर का एक खास नियम था उसके ही परिणाम स्वरूप यह सारे लोग अपंग हो ग ए हैं। देखो द्वार पर लिखा है कि अगर तेरा बांया हाथ पाप करने को संलग्न हो तो उचित है कि तू अपना बाया हाथ काट देना बजाय कि पाप करे। देखो लिखा है द्वार पर कि अगर तेरी एक आंख तुझे गलत मार्ग पर ले जाए तो अच्छा है कि उसे तू निकाल फेंकना बजाय इसके कि तू गलत रास्ते पर जाए। इन्हीं वचनों का पालन करके यह गांव अपंग हो गया है| छोटे-छोटे वच्चे जो अभी द्वार पर लिखे इ न अक्षरों को नहीं पढ़ सकते हैं उन्हें छोड़ दें तो इस नगर में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो धर्म का पालन करता हो और अपंग न हो गया हो। वह राजकुमार उस द्वार के भीतर प्रविष्ट नहीं हुआ क्योकि वह छोटा बच्चा नहीं च 1 और द्वार पर लिखे अक्षरों को पढ़ सकता था। उसने घोड़े वापस कर लिए ओर उ
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